भोपाल । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सड़कों की गुणवत्ता (Quality of Roads) को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) ने एक पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) तैयार किया है। इसके तहत राज्य के 21 जिलों में 41 मार्गों का निर्माण नई तकनीक से होगा। इन मार्गों की कुल लंबाई 109.31 किलोमीटर है और इन्हें चार महीने में पूरा किया जाएगा।
मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने अब सड़क निर्माण की नई तकनीक व्हाइट टॉपिंग को अपनाने का निर्णय लिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस दिशा में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 21 जिलों में चयनित 41 सड़कों पर इस तकनीक को लागू किया जाएगा। इन मार्गों की कुल लंबाई 109.31 किलोमीटर है। योजना को नवंबर के अंत तक शुरू करने की तैयारी है और इसे अगले 4 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस परियोजना के तहत सबसे अधिक 14 सड़कों पर कार्य भोपाल में किया जाएगा। अन्य जिलों में इंदौर और ग्वालियर में तीन-तीन सड़कें, बुरहानपुर, मंदसौर और सागर में दो-दो सड़कें, आगर मालवा, उमरिया, खंडवा, गुना, छतरपुर, देवास, नर्मदापुरम, नीमच, बैतूल, मुरैना, रतलाम, रायसेन, रीवा, सतना और हरदा में एक-एक सड़क पर वाइट टॉपिंग तकनीक लागू की जाएगी।
क्या है वाइट टॉपिंग तकनीक
वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण की एक आधुनिक तकनीक है। इसमें पुरानी सड़कों पर कंक्रीट की मोटी परत चढ़ाई जाती है। यह प्रक्रिया सड़कों को न केवल मजबूत और टिकाऊ बनाती है, बल्कि उनकी आयु भी 20 से 25 साल तक बढ़ा देती है। इस तकनीक में सबसे पहले पुरानी सड़क की सतह को साफ किया जाता है। उसके बाद 6 से 8 इंच मोटी कंक्रीट की परत डाली जाती है, जो भारी यातायात और खराब मौसम का सामना करने में सक्षम होती है।
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