भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, जिसके चलते पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही बीजेपी ने 79 उम्मीदवारों को उतारकर भले ही बढ़त बना ली हो, लेकिन असल इम्तिहान अब होना है. बीजेपी ने अभी तक उन कमजोर सीटों पर कैंडिडेट के नामों की घोषणा की है, लेकिन अब बारी मजबूत सीटों की है. ऐसे में बीजेपी के लिए मौजूदा मंत्री और विधायकों की सीटों पर कैंडिडेट का निर्णय करना है, जिसके चलते पार्टी की चौथी और पांचवीं लिस्ट को घोषित करना आसान नहीं होगा?
बीजेपी ने मध्य प्रदेश की कुल 230 सीटों में से अभी तक 79 सीटों पर कैंडिडेट के नामों का ऐलान किया है. इस लिहाज से 151 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा बाकी है. विधानसभा सीटों को बीजेपी ने A, B, C और D चार तरह के श्रेणी में बांट रखा है. इनमें A श्रेणी की सीट बीजेपी का गढ़ रही है. बीजेपी ने बी श्रेणी में उन सीटों को रखा है, जहां पर पार्टी जीतती रही है, लेकिन पिछले चुनाव में हार गई थी. सी और डी श्रेणी की सीटों पर विशेष नजर है. बीजेपी इन श्रेणी की सीटों पर अब जीत हासिल करने के लिए लगातार जुटी हुई है.
बीजेपी का फोकस पिछले चुनाव में हारी हुई 103 सीटों पर है. यही वो सीटें सी और डी श्रेणी की हैं. बीजेपी ने अभी तक जिन 79 सीटों पर कैंडिडेट उतारे हैं, उनमें से 76 सीटों पर बीजेपी का कब्जा नहीं है और तीन सीटों पर उसके विधायक हैं. इस तरह से सी-डी श्रेणी की 103 सीटों में से 79 सीटों पर टिकट घोषित किए जाने के बाद इस कैटेगरी 24 सीटें बची हुई हैं. इसके अलावा उन 127 सीटें पर भी कैंडिडेट का नाम घोषित करना है, जहां से बीजेपी के विधायक और मंत्री काबिज हैं.
एक अक्टूबर को बीजेपी सीईसी की बैठक
बीजेपी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के चयन के लिए एक अक्टूबर को पार्टी ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में पहले उन 24 सीटों पर कैंडिडेट का चयन किया जाना है, जहां पर विपक्षी दल के विधायक हैं. इसके साथ ही ए और बी श्रेणी वाली 127 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया जाना है. माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार अपने मौजूदा कई विधायक और मंत्रियों का भी टिकट काट सकती है.
मंत्री यशोधरा ने चुनाव लड़ने से कर दिया है मना
एमपी सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी नेतृत्व को चिट्ठी लिखकर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. इसके पीछे उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है. यशोधरा राजे शिवपुरी से विधायक हैं. सूत्रों की मानें तो बीजेपी उन्हें शिवपुरी की जगह दूसरी सीट से उतारना चाहती थी, जिस पर सहमत नहीं थीं. ऐसे में अब उनके चुनाव लड़ने से मना करने को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है. बीजेपी इस बार उन तमाम विधायकों और मंत्रियों का टिकट काट सकती है, जिनकी सर्वे रिपोर्ट में खराब स्थिति बताई गई है.
2018 में पांच मंत्रियों के टिकट कटे थे
बीजेपी ने 2018 में पांच मंत्रियों के टिकट काटे थे जबकि 2013 में चार मंत्री को टिकट नहीं मिला था. पिछली बार माया सिंह, हर्ष सिंह, सूर्यप्रकाश मीणा, लक्ष्मीकांत शर्मा और गौरीशंकर शेजवार जैसे मंत्रियों को बीजेपी ने चुनाव नहीं लड़ाया था. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी बीजेपी सर्वे और फीडबैक के आधार पर अपने आधा दर्जन मंत्रियों के टिकट काट सकती है और उनकी जगह पर नए चेहरों को उतारने की रणनीति है. इसी तरह से बीजेपी उन तमाम विधायकों के भी टिकट काट सकती है, जिनकी जीत की संभावना इस बार कम है.
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