– प्रभुनाथ शुक्ल
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने लव जिहाद पर अध्यादेश लाने का फैसला किया है। उचित समय पर सरकार का यह सही फैसला है। धार्मिकता की आड़ में होने वाले इस घिनौने अपराध पर लगाम लगनी चाहिए। बिल पास करवाने में अगर मामा की सरकार सफल रही तो लव जिहाद के खिलाफ सरकार की यह पहली सर्जिकल स्ट्राइक होगी। इसके पूर्व कर्नाटक, हरियाणा और यूपी ने इसपर कानून बनाने का फैसला किया है।
निश्चित रूप से लव जिहाद एक घृणित धार्मिक साजिश है। कोई भी धर्म-संस्कृति इसकी मान्यता नहीँ देता है लेकिन हाल के सालों में लव जिहाद सियासी मुद्दा बन गया है। यह सामुदायिक तनाव का कारण भी बन रहा है। तीन साल पूर्व भारत में ऐसी शब्दावली विकसित नहीँ थी लेकिन मीडिया और सियासी वजह से लव जिहाद की शब्दावली हर जुबान पर चढ़ गई। हरियाणा के वल्लभगढ़ में एक हिंदू लड़की को मुस्लिम युवक की तरफ़ से गोली मारकर हत्या करने की घटना ने देश को हिलाकर रख दिया। इस घटना ने लव जिहाद की बहस को नया रूप दिया है।
मध्य प्रदेश सरकार लव जिहाद पर अध्यादेश लाकर राज्य में सियासी बढ़त लेना चाहती है। हालाँकि लव जिहाद की घटनाएँ इसके पूर्व भी घटित होती रहीं हैं, लेकिन तब यह शब्दावली नहीँ थीं। इस परिभाषा ने इसे ज्वलंत बना दिया है। लव जिहाद पर कई घटनाएँ बेहद चौंकाने वाली हैं।
हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच लव जिहाद नफरत का कारण भी बन रहा है। बल्लभगढ़ की घटना ने इसे नया रूप दिया है। सभ्य समाज में लव जिहाद का कोई स्थान नहीँ है। लव यानी प्रेम ईश्वर का स्वरूप है। प्रेम शास्वत है, प्रेम में त्याग और समर्पण होता है वहां जिहाद का क्या मतलब। जहाँ मोहब्बत है वहां जिहाद हो ही नहीँ सकता। लेकिन जिहाद के लिए मोहब्बत का ढोंग रचना सबसे बड़ी धार्मिक साजिश है। लव जिहाद हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म और संस्कृति को बदनाम करने की आतंकी साजिश है। कुछ गंदी सोच के लोग दोनों धर्म और संस्कृति को बदनाम कर समाज में नफरत और द्वेष फैलाना चाहते हैं।
भारत में सभी धर्म और संस्कृति के लोग रहते हैं। यह सनातन संस्कृति और संस्कार का देश है। सनातन ने कभी किसी दूसरे धर्म को भारत में फलने-फूलने से नहीँ रोका। सभी धर्मों के लोग अपनी धर्मिक आजादी के साथ जीते हैं। एक-दूसरे के धर्म, संस्कार और परम्परा में विश्वास रखते हैं। लेकिन इसे अब राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है। लव जिहाद का मामला किसी भी धर्म-संस्कृति से सम्बन्धित क्यों न हो लेकिन यह एक महिला की जिंदगी से जुड़ा सवाल है।
भारतीय समाज में महिलाओं का सम्मान सबसे प्रथम वरीयता है। हिंदू धर्म में नारी को बड़ा सम्मान दिया जाता है। हिंदू धर्म में महिलाओं को गृहणी यानी लक्ष्मी और देवी माना गया है। हमारे वेदों में कहा गया है कि जहाँ नारियों की पूजा यानी सम्मान होता है वहां देवता बास करते हैं।
भारतीय नारी त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति है। इस तरह की नारियों को भोग्या समझना सबसे बड़ी नासमझी है। किसी भी धर्म के लिए कठमुल्लापन घातक है। हमेशा खुली संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों में नारियों का बड़ा सम्मान है, लेकिन कुछ नासमझ और बहके युवक आतंकी साजिश में फँसकर अपना धार्मिक अधिकार मानते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी भूल है।
भारत में लव जिहाद की शुरुआत कुछ साल पूर्व केरल से हुई थी। जहाँ एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के के बीच प्रेम विवाह के बाद साजिश का मामला सामने आया था। यह घटना इतनी चर्चित हुई कि इसकी जाँच एनआईए से करानी पड़ी। लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है। अंग्रेजी भाषा का शब्द लव यानी प्यार और अरबी भाषा का शब्द जिहाद है। प्रेम के जाल में फंसाकर लड़की का धर्म परिवर्तन करवा देना ही लव जेहाद है। निश्चित रूप से यह एक समाजिक बुराई है। वास्तव में इसपर सख्त क़दम उठाने की ज़रूरत है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इसपर कठोर कानून बनाने का फैसला किया है। जिसमें पाँच साल कारावास और गैरजमानती धाराओं में मुकदमें दर्ज किए जाएंगे। लव जिहाद में शामिल सह आरोपी को भी मुख्य आरोपी की तरह कानूनी धाराओं में निरुद्ध किया जाएगा। हालाँकि किसी गैर धर्म की लड़की से कोई शादी करना चाहता है तो उसकी भावनाओं का भी सरकार ने सम्मान किया है। शादी के लिए अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन की खुली छूट दी गई है, लेकिन इसके लिए कम से कम एक माह पूर्व जिलाधिकारी को आवेदन देना होगा। इसलिए इसपर अधिक राजनीति नहीँ होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि लव जिहाद की स्थितियां हैं। भोली-भाली लड़कियों को फँसाकर धर्म परिवर्तन कर लव जिहाद की हालात पैदा किए जाते हैं। केरल हाईकोर्ट ने 2016 में लव जिहाद की शिकार हुई एक हिंदू लड़की की शादी रद्द कर दिया था। लव जिहाद वास्तव में भारत के खिलाफ एक साजिश है। इस कानून बनना राज्य सरकारों का उचित फैसला है। लेकिन इसपर खुले मन से बहस होनी चाहिए। लव जिहाद भारतीय समाज के लिए कलंक है।
लव जिहाद पर किसी तरह की राजनीति नहीँ होनी चाहिए क्योंकि कानून किसी भी समस्या का समाधान नहीँ है। कानून की आड़ में किसी धर्म के लोगों का उत्पीड़न नहीँ होना चाहिए। फिलहाल लव जिहाद की बढ़ती घटनाएँ सामाजिक चिंता का विषय हैं। मध्य प्रदेश सरकार का फैसला उचित है, लेकिन लव जिहाद पर कानून बनाने के पूर्व व्यापक बहस के बाद विपक्ष को भी विश्वास में लेना चाहिए। राजनीतिक बढ़त लेने की होड़ में ज़मीनी हकीकत का भी ख़याल रखना होगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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