मध्‍यप्रदेश राजनीति

गेहूं की खरीद में पिछड़ा मध्य प्रदेश, जीतू पटवारी ने खड़े किए सवाल

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी (MP Congress President Jitu Patwari) ने मध्य प्रदेश के गेहूं की खरीद पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक रहना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश के पास इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले सिर्फ 75 लाख टन गेहूं था। पटवारी ने कहा कि अपने यहां अभी तक पिछली बार से करीब 22.67 लाख टन कम खरीद हुई है और अब सब जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों हुआ।

जीतू पटवारी (Jeetu Patwari) ने कहा है कि गेहूं एक साल में 8 प्रतिशत महंगा हुआ है। पिछले 15 दिन में ही कीमतें 7 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं, जो अगले 15 दिन में 7 प्रतिशत और बढ़ सकती हैं। दरअसल, गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक (138 लाख टन) होना चाहिए। मगर इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले यह सिर्फ 75 लाख टन था। 2023 में यह 84 लाख टन, 2022 में 180 लाख टन और 2021 में 280 लाख टन स्टॉक था। यानी अभी यह 16 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है।


पटवारी ने कहा कि सीएम मोहन यादव जी कृषि विशेषज्ञों का मानना है गेहूं के फसल चक्र के दौरान कोहरे, हवा के कारण इसकी प्रति एकड़ उत्पादकता 5 क्विंटल तक कम हो गई है। दूसरा सबसे बड़ा दोष मध्यप्रदेश का है। अपने यहां अभी तक पिछली बार से करीब 22.67 लाख टन कम खरीद हुई है। अब तो देश भी जानना चाहता है कि ऐसा क्यों हुआ? कई बार, लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार जीतने वाला मध्यप्रदेश गेहूं की खरीद में क्यों पिछड़ गया? क्या किसानों को अब भाजपा की खरीद व्यवस्था पर विश्वास नहीं रहा? मैं जानता हूं कि आप इसका जवाब नहीं देंगे।

पटवारी ने कहा कि प्रदेश की जनता और मेहनतकश किसान जानता है कि सच क्या है? घोषित समर्थन मूल्य से सरकार का मुकर जाना इसकी सबसे बड़ी वजह है। बीते विधानसभा चुनाव में 2700 रुपये प्रति क्विंटल के वादे को मोदी की गारंटी बताने के बावजूद किसानों को धोखा दिया गया। इसीलिए सरकार के बयान से ज्यादा किसानों ने बाजार पर भरोसा कर लिया। मुनाफे की नीति पर चलने वाला बाजार अब अपनी शर्तों पर गेहूं और आटे की कीमत तय करेगा और इसका सबसे बड़ा खामियाजा देश की गरीब जनता को भुगतना पड़ेगा। गेहूं के जरिए आए महंगाई के इस नए संकट के लिए सबसे ज्यादा आपकी सरकार और उसके वादाखिलाफी जिम्मेदार है। अभी भी समय है। किसानों से माफी मांगें और उन्हें बकाया भुगतान कर दें।

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