भोपाल। आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से मप्र के 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉक्स में संचालित 5760 विद्यालयों को बंद किए जाने के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय बाल आयोग ने आपत्ति की है। आयोग ने आदिम जाति कल्याण विभाग को पत्र लिखकर यह प्रस्ताव वापस लेने की अनुशंसा की है। आयोग की ओर से 4 फरवरी को लिखे गए पत्र में आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन की शिकायत के आधार पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 13 (1) के अंतर्गत कदम उठाते हुए संज्ञान लिया गया है। पत्र में कहा है कि स्कूलों को बंद किए जाने के गरीब आदिवासी बच्चों की शिक्षा को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में इस प्रस्ताव को वापस लेना चाहिए। संगठन ने अपनी शिकायत में बताया था कि 89 आदिवासी विकासखण्डों में 10 हजार 560 स्कूल संचालित होते हैं। इनमें प्रदेश के अधिकतर आदिवासी, अनूसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अन्य वर्गों के गरीब परिवारों के बच्?चे पढ़ाई करते हैं। ऐसी स्थिति में पांच हजार से अधिक स्कूलों को बंद किए जाने से इनकी शिक्षा पर विपरीत असर पड़ेगा।
20 जिलों में संचालित है एक परिसर एक शाला
आदिम जाति कल्याण विभाग ने 20 जिलों के 89 आदिवासी विकासखंडों में एक ही परिसर में विभिन्न स्तर की संचालित शालाओं को राज्य शासन के एक परिसर-एक शाला के अनुरूप संचालित किए जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से एक ही परिसर में स्थित विभिन्न विद्यालयों में उपलब्ध मानवीय व भौतिक संसाधनों का व्यवस्थित तरीके से उपयोग हो सकेगा। साथ ही नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से हो सकेगा।
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