ग्वालियर। जिंदगी और मौत से लड़ रहे व्यक्ति की जान बचाने के लिए जज (Judge)की कार छीनने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) के दो छात्रों के मामला अब गर्माता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav)ने मामले को संज्ञान में लिया है और दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने अनधिकृत रूप से किसी के वाहन के उपयोग और युवकों पर की गई कार्यवाही के संबंध में जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुलिस महानिदेशक (Director General of Police) को निर्देश दिए हैं कि युवकों पर डकैती की धारा लगाना न्यायोचित नहीं लगता, क्योंकि युवक आपराधिक पृष्ठभूमि के नहीं हैं। यह मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा मामला है। मेरे संज्ञान में यह बात आई है। यह सही है कि युवकों का तरीका गलत था। संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए जांच के पश्चात न्यायपूर्ण कार्रवाई किया जाना उचित होगा।
ये है पूरा मामला
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े दो छात्रों ने ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर रणजीत सिंह (68) जो कि रिटायर्ड कुलपति को हार्ट अटैक आने पर पहले जीआरपी थाने और रेलवे अधिकारियों के पास पहुंचे थे लेकिन जब आधा घंटे तक उनका कोई उपचार नहीं हुआ तो वे स्टेशन से बाहर आए और वहां खड़ी एक जज की कार के ड्राइवर से चाबी छीन ली और उसमें बुजुर्ग को लेकर हॉस्पीटल पहुंचे। वहां इलाज शुरू करके उनके परिजनों को इसकी सूचना दी। हालांकि इलाज के दौरान बुजुर्ग की मौत हो गई। लेकिन मामले में पुलिस ने छात्रों पर डकैती का केस दर्ज किया है और हाईकोर्ट के जज ने उन्हें जमानत तक देने से मना कर दिया है।
शिवराज और वीडी शर्मा छात्रों के पक्ष में उतरे
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रदेशध्यक्ष वीडी शर्मा छात्रों के पक्ष में उतर आए हैं, उनका कहना है कि छात्रों ने पवित्र इरादे से गुनाह किया उनका इरादा गलत नहीं था। एबीवीपी के छात्रों ने जहां माधव कॉलेज पर तालाबंदी की तो एक रोज पूर्व जीवाजी विद्यालय में शांति मार्च भी निकाला। इनका कहना है कि मानवता के लिए किसी व्यक्ति की मदद करने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों के खिलाफ जो कार्रवाई की गई है वह पूरी तरह गलत है।
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