भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ (Indore bench of the High Court) के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला (Historical restaurant of Dhar) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग (Archaeological Survey of India (ASI) Department) का सर्वे शनिवार को 9वें दिन भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की सर्वे टीम शनिवार सुबह आठ बजे भोजशाला पहुंचे और शाम साढ़े पांच बजे बाहर आए। इस दौरान करीब साढ़े नौ घंटे सर्वे चला। टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान मौजूद रहे। रंगपंचमी को देखते हुए भोजशाला के बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग की टीम के साथ शनिवार को रंगपंचमी पर नौ और सदस्य भी शामिल हुए। वहीं, भोजशाला से वापस लौटे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिन स्थानों पर भोजशाला के पीछे की ओर काम चल रहा है, वहीं पर आज सर्वे का काम आगे बढ़ा है। सर्वे में एएसआई के अभी तक जो 16 सदस्यीय टीम थी, उनमें आज दक्षिण भारत के नौ सदस्य नए आए हैं।
उन्होंने बताया कि भोजशाला की छत पर गर्भगृह के दाएं और बाएं ओर सब तरफ सर्वे का काम किया है। आज से सर्वे को और अधिक गति मिली है। साथ ही खुदाई का क्षेत्रफल भी बढ़ा है। सबसे पहले जो गड्ढा किया था, उसे पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ाया गया है। वहीं, भोजशाला के अंदर सीमांकन का काम चल रहा है। साथ ही स्तंभों की रिफ्लेक्टरों के माध्यम से उच्च स्तरीय फोटोग्राफी सहित अन्य काम अंदर बारीकी से चल रहा है। हर चीज की बारीकी से जांच हो रही है। यज्ञशाला के आसपास भी कार्य चल रहा है। वहीं, शाम को धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा भी भोजशाला पहुंचे थे। उन्होंने भी भोजशाला का निरीक्षण किया और एएसआई के अधिकारियों से बातचीत की।
10-15 फीट गहराई में भी नहीं मिली भोजशाला की नींव
सर्वे के दौरान प्राथमिक रूप से यह सामने आया है कि 10-15 फीट गहराई तक की खुदाई में भोजशाला की नींव नहीं मिल पा रही है। इसी से अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पर एक तलघर हो सकता है और नींव अधिक गहराई तक हो सकती है। यदि यहां तलघर निकलता है तो कई नई बातें सामने आ सकती हैं। तलघर की संभावना के चलते सावधानी से कार्य किया जा रहा है। दूसरी ओर जीपीआर के माध्यम से अन्य स्थानों पर भी खुदाई की तैयारी की जा रही है। इसके लिए रडार से जानकारियां हासिल कर ली गई हैं।
दरअसल, वाराणसी के ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का सर्वे कार्य 22 मार्च से किया जा रहा है। रंग पंचमी के अवकाश के बावजूद यहां पर सर्वे कार्य किया गया। मुख्य रूप से सर्वे के तहत नए स्थान पर खुदाई शुरू की गई है। भोजशाला की नींव को लेकर अन्य पाषाण धरोहर को खोजने का काम भी तेज हो गया है। हिंदुओं के मुताबिक भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।
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