देहरादून (Dehradun)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का टाइगर स्टेड का दर्जा बरकरार (Tiger State status intact) है, क्योंकि देश के सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में हैं। राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) की तरफ से अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (international tiger day) के मौके पर राज्यों के हिसाब से बाघों की गणना की गई थी, जिसमें सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश पाए गए हैं।
भारत में अब राष्ट्रीय पशु की संख्या अब 3682 पर पहुंच गई है। वर्ष 2018 में यह संख्या 2967 थी। इस लिहाज से देखें तो पिछले चार सालों में बाघों की आबादी में 715 की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यह बाघों की कुल जनसंख्या में पिछले चार सालों में 24 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती है। देश में पिछले चार सालों में बाघों की आबादी में सबसे बड़ी वृद्धि मध्य प्रदेश में देखने को मिली है। यहां पर चार सालों में 259 बाघ बढ़ गए हैं। उत्तराखंड में भी बाघों की आबादी में पिछले चार सालों में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है।
बाघों की आबादी में 118 का इजाफा हुआ है। बाघों के संरक्षण के लिए बनाए गए देश के टॉप 5 टाइगर रिजर्व की बात करें तो उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सबसे आगे है। यहां अभी कुल बाघों की आबादी 260 है। देश के सबसे अधिक बाघों की आबादी वाले राज्य में मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक, उत्तराखंड और फिर महाराष्ट्र का नंबर आता है। हर चार सालों पर बाघों की गिनती होती है। 2006 के बाद से देश में बाघों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2006 में 1411 बाघों की जनसंख्या वाले देश में सेव टाइगर अभियान का असर अब साफ दिखने लगा है।
मध्य प्रदेश में 785 बाघ पाए गए हैं। इससे पहले जब बाघों की गिनती हुई थी तब बाघों की संख्या 526 थी। यानि एक साल में मध्यप्रदेश में 259 बाघ बढ़े हैं। यानि प्रदेश में बाघों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। इनमें भी सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क में हैं।
मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखने पर सीएम शिवराज ने भी खुशी जताई है। सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘अत्यंत हर्ष की बात है कि हमारे प्रदेशवासियों के सहयोग और वन विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप, चार वर्षों में हमारे प्रदेश में जंगल के राजा बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है।
उन्होंने आगे लिखा- मैं पूरे प्रदेश की जनता को, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूं। आइये हम सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।’ बता दें कि मध्य प्रदश को एक बार फिर से यह उपलब्धि मिलने पर लोगों में खुशी का माहौल है। वहीं बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन में भी खुशी का माहौल है। क्योंकि यहां बाघों की संख्या मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा है। बांधवगढ़ में भी बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
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