उज्जैन। शहर की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और क्षेत्रफल भी बढ़ रहा है। इसके साथ साथ पेयजल व्यवस्था में अब प्रतिदिन जल की मात्रा भी बढ़ रही है, इसके लिए पीएचई ने टंकियों की संख्या तो बढ़ा दी है लेकिन इनको भरने की व्यवस्था वही पुरानी है, इसके कारण दो-चार दिन में पेयजल व्यवस्था में गड़बड़ी होती है। शहर में पहले मात्र 17 टंकी हुआ करती थी। 2016 के बाद पानी की टंकियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ दिनों पहले 9 नई टंकियां बन गई है जो दूर-दराज के इलाकों जैसे ढांचा भवन, आगर रोड, नागझिरी, महामृत्युंजय द्वार, पाश्र्वनाथ कॉलोनी, देवास रोड और अन्य क्षेत्रों में यह टंकियाँ बनाई गई है और वर्तमान में इन टंकियों को भरने के लिए प्रतिदिन 5 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है। इस 5 एमसीएफटी पानी को भरने के लिए पंप हाउस की व्यवस्था वही पुरानी है। वर्तमान में अंबोदिया और गऊघाट पर पंप हाउस है जिनसे यह टंकियाँ भरी जाती है। बताया जाता है कि इन टंकियों को भरने में इन पंप हाउस को 24 घंटे चलाना पड़ता है और इनमें से यदि कोई भी खराब हो जाए तो उस दिन पूरी पेयजल व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
इन पंपों के पार्ट्स पुणे, मुंबई जैसे शहर में मिलते हैं। पार्ट्स लाने में एक-दो दिन हो जाते हैं और पेयजल व्यवस्था ठीक ढंग से नहीं हो पाती है। ऐसी ही गड़बड़ी पिछले कई दिनों से चल रही है। आज भी शहर में कई इलाकों में पानी नहीं मिल पाया है। 2 पंपों के भरोसे पूरी पेयजल व्यवस्था है। ऐसे में जब टंकियों की संख्या बढ़ी है तो प्रशासन को चाहिए कि पंप हाउस की संख्या बढ़ाएं और एक पंप हाउस रिजर्व रखें तथा इन पंप हाउस से कुछ टंकियों को लाइन से जोड़े जिससे पेयजल व्यवस्था में दिक्कत नहीं आएगी। इस आशय का प्रस्ताव प्रशासन को बनाना चाहिए, नहीं तो पुरानी व्यवस्था के अनुसार तो पेयजल व्यवस्था में गड़बड़ चलती रहेगी।
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