– जैन समाज की इंटरनेशनल संस्था में भी घुसा माफिया
– 11 लाख देकर फाउंडर बना तो पत्नी को महिला विंग का अध्यक्ष बना डाला
इंदौर। गृह निर्माण संस्थाओं (Housing institutions) की जमीन पर डाका डालने वाले फरार भूमाफिया दिलीप सिसौदिया द्वारा अपना नाम परिवर्तित कर दीपक जैन (Deepak Jain)करने का मुख्य कारण यह भी रहा कि वह जैन समुदाय में घुसपैठ करना चाहता था। वहीं जैन समाज की सबसे बड़ी संस्था जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन, जिसमें देशभर के कई प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं, पर कब्जे के प्रयास में था। शातिर दीपक मद्दा (Deepak Madda) संस्था में घुसपैठ करते हुए धन का प्रभाव दिखाते हुए जहां 11 लाख रुपए देकर खुद फाउंडर बन गया, वहीं पैसे के बल पर ही अपनी पत्नी को संस्था की महिला विंग का अध्यक्ष बना डाला।
इंदौर जिस तरह तरक्की कर रहा है उसकी वजह शहर में कारोबार, व्यापार, उद्योग के साथ सामाजिक और रचनात्मक गतिविधि का शामिल होना भी रहा है। मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी होने के कारण देशभर के उद्योगपति, कारोबारी, व्यापारी और प्रतिष्ठित लोग जहां शहर में कामकाज करना चाहते हैं, वहीं सामाजिक संस्थाएं भी शहर के रचनात्मक कार्यों में शामिल होने के लिए उत्सुक रहती हैं। जैन समाज की अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘जीतो’ में शहरभर के प्रतिष्ठित कारोबारी, उद्योगपतियों के साथ ही वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। संस्था की सदस्यता प्रतिष्ठा का विषय मानी जाती है, क्योंकि उक्त संस्था में शामिल लोग सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। इस सम्मान को हड़पने के लिए भी माफिया दिलीप सिसौदिया की निगाहें लगीं और अपने बदले हुए नाम का उपयोग करते हुए दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक जैन ने 11 लाख रुपए देकर संस्था की फाउंडर मेंबरशिप हासिल कर ली। पैसे के बल पर संस्था में घुसे मद्दा ने संस्था के पदाधिकारियों को प्रभावित करते हुए अपनी पत्नी सपना सिसौदिया (Sapna Sisodia) को महिला विंग का अध्यक्ष बना डाला। पत्नी के शपथ ग्रहण समारोह में शहरभर के जैन समाज के लोगों को इकट्ठा कर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा का अहसास कराते हुए लोगों को ठगने का नया पैंतरा आजमाया। दीपक जैन ने हिना पैलेस कॉलोनी का ही एक प्लॉट संस्था के कार्यालय भवन के लिए ऑफर किया। सहकारी संस्थाओं की भूमि हड़पकर हिना पैलेस बनाने वाले दीपक मद्दा का प्रयास था कि वह संस्था का फाउंडर मेंबर बनने के बाद उक्त भूमि पर ‘जीतो’ का कार्यालय स्थापित कराकर जैन समाज की प्रतिष्ठित संस्था पर कब्जा कर लेता। यह प्रयास चल ही रहा था कि प्रशासन ने दीपक मद्दा का काला चेहरा उजागर कर दिया।
उद्योगपति, पूंजीपतियों से लेकर भावी अफसरों और सभ्य संपन्न लोगों की संस्था है ‘जीतो’
जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (Jain International Trade Organization) की स्थापना दरअसल देशभर के जैन समाज के उन लोगों का समूह बनाने के लिए थी, जो व्यापार-कारोबार के साथ ही बड़े -बड़े उद्योगों में शामिल हैं। इसके साथ ही संस्था में जैन समाज के उच्च पदों पर पदस्थ आईएएस एवं आईपीएस अफसर भी शामिल हैं। संस्था का उद्देश्य यह है कि ‘जीतो’ के माध्यम से व्यापारी, कारोबारी एक-दूसरे का साथ बनाते हुए एक चेन के रूप में काम करें और समाज के लोगों को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। व्यापारिक रूप से एकता के लिए बनी संस्था ‘जीतो’ का मूल उद्देश्य सभ्य एवं उच्च श्रेणी के लोगों को एकत्र करना रहा। संस्था का न केवल पूरे देश में, बल्कि महानगरों में भी बड़ा प्रभाव है। संस्था की अंशपूंजी अरबों रुपए में है और संस्था में देश के धनाढ्य वर्ग से लेकर उद्योगपति, कारोबारी शामिल हैं। ऐसी संस्था का लाभ उठाने के लिए माफिया दीपक मद्दा ने घुसपैठ का सफल प्रयास किया।
शातिर दीपक जैन ने आईएएस व आईपीएस की ट्रेनिंग विंग में भी घुसपैठ का प्रयास किया
शातिर दीपक जैन को पता था कि उसके खोटे कर्म कभी भी उसे कठघरे में खड़ा कर सकते हैं, इसलिए जीतो संस्था के माध्यम से उसने संस्था के आईएएस और आईपीएस की ट्रेनिंग विंग में भी घुसने का प्रयास किया। दरअसल ‘जीतो’ संस्था जैन समाज के शिक्षित एवं पढ़े-लिखे युवकों को आगे बढ़ाने के लिए शैक्षणिक ट्रेनिंग देने का भी काम करती है। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर आईएएस व आईपीएस की परीक्षा में शामिल होने वाले युवक भी शामिल होते हैं। संस्था ने इसके लिए अलग-अलग विंग बना रखी है। संस्था की आईएएस व आईपीएस की ट्रेनिंग विंग में शामिल नवयुवक बड़ी संख्या में अफसर बनकर निकलते हैं। संस्था का उद्देश्य यह है कि यह अफसर बनकर समाज की सेवा में शामिल हों। ऐसे नवयुवकों को ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाने का काम किया जाता है। शातिर दीपक मद्दा ने ‘जीतो’ संस्था की इस विंग की उपयोगिता को भांप लिया। उसे पता था कि इस संस्था की इस विंग से निकलकर अफसर बनने वाले लोग निश्चित ही देशभर में प्रमुख पदों पर आसीन होंगे, इसलिए दीपक जैन का प्रयास था कि इस ट्रेनिंग विंग का प्रमुख बन जाए तो उसके भावी अफसरों के साथ सीधे संपर्क हो जाएंगे, जिनके प्रभाव से वह अपना उल्लू सीधा कर सकेगा, लेकिन उसका यह प्रयास भी सफल नहीं हो पाया।
समय रहते टेनिस क्लब से निकाला मद्दा को
संभ्रांत और धनाढ्यों से संबंध बनाने के लिए दीपक मद्दा ने यशवंत क्लब में घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन जब वहां कामयाब नहीं हुआ तो टेनिस क्लब का सदस्य बन बैठा, लेकिन क्लब में मेंबर बनने के बाद मद्दा ने न फीस चुकाई न मेंटेनेंस दिया और अपने रसूख का इस्तेमाल करना चाहा, लेकिन क्लब ने उसकी सदस्यता समाप्त कर दी।
प्रभाव जमाने के लिए मद्दा ने जैन समाज को हिना पैलेस की ग्रीन बेल्ट की जमीन टिका दी…
जैन समाज में अपना प्रभाव बनाने के लिए दिलीप सिसौदिया ने पहले अपना नाम दीपक जैन किया और उसके बाद जैन समाज के संतों को प्रभाव में लेने का प्रयास करना शुरू किया। इसी प्रयास में राजगढ़ के प्रभावी संत ऋषभ विजयजी को फर्जी हिना पैलेस कॉलोनी के ग्रीन बेल्ट की जमीन मंदिर बनाने के लिए टिका दी। दीपक जैन ने अपनी पत्नी के साथ ट्रस्ट को मंदिर बनाने की जमीन देने का ऐलान तो किया, लेकिन जो जमीन मद्दा ने समाज को टिकाई वो हिना पैलेस कॉलोनी के ग्रीन बेल्ट का टुकड़ा था, जिस पर निर्माण कार्य संभव नहीं है।
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