उज्जैन। लाखों रुपए की दर्जनों मशीनें सरकारी अस्पतालों में धूल खा रही है जिन्हें अब ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक अस्पतालों में भेजा जाएगा जहाँ इनका उपयोग हा सके। ऐसी सभी मशीनों की सूची बनाई गई है। अस्पतालों में कई दवाइयाँ बिना उपयोग के ही एक्सपायरी हो जाती है। मध्य प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उज्जैन जिला अस्पताल सहित प्रदेश के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों से ऐसी मशीनों की जानकारी माँगी है जो उनके काम नहीं आ रही है। इन सभी मशीनों को ग्रामीण अस्तपालों में भेजा जाएगा। उज्जैन के शासकीय जिला अस्पताल सहित मध्य प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में ऐसी सैकड़ों मशीनें हैं जिनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। ये मशीनें कमरों में पड़ी धूल खा रही हैं।
कई अस्पतालों में वजह यह बताई जा रही है कि नया बजट मिलने के कारण नई मशीन खरीद ली गई है और पुरानी मशीन को बंद कर दिया गया है। कई जिला अस्पताल में मशीन राखी राखी खराब होने की कगार पर है ऐसी स्थिति को देखते हुए अब प्रदेशभर के अस्पतालों में पुरानी मशीनों को सुधार कर उनका नवीनीकरण किया जाएगा। और जिन अस्पतालों में इनकी जरूरत है, वहां स्थानांतरित किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेजों को पत्र भेजकर अस्पतालों में उपलब्ध तथा काम नहीं आ रही सभी मशीनों की जानकारी मांगी गई है। साथ ही यह भी जानकारी माँगी गई है कि किन मशीनों की कहाँ आवश्यकता है। जानकारी मिलने के बाद जहाँ मशीनें बेकार पड़ी हैं, उन्हें वहाँ भेजा जाएगा, जहाँ उसकी आवश्यकता है। इससे प्रदेश के बड़े शहरों के मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में धूल खा रही मशीनें छोटे शहरों के अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों में काम आ सकेंगी। बजट की कमी के चलते ग्रामीण अस्पताल इन्हें खरीद नहीं पा रहे हैं। ऐसे में बड़े शहरों के अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में काम नहीं आ रहीं मशीनों को वहाँ स्थानांतरित किया जाएगा, जहाँ उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इससे उन क्षेत्रों के मरीजों को सुविधाएं मिलने लगेंगी। अभी सुविधा के अभाव में कई जाँचों के लिए मरीजों को बड़े शहरों में आना पड़ता है। या फिर ग्रामीणों को प्राइवेट जाँच करानी पड़ती है जिसमें उन्हें काफी रुपया लगता है।
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