मुंबई। बॉलीवुड(Bollywood) में खलनायकों (Villains)का एक दौर ऐसा रहा है जब उनके बिना फिल्म(Film) अधूरी मानी जाती थी। वो फिल्म का एक ऐसा अभिन्न हिस्सा होते थे जिनके लिए एक से बढ़कर एक धांसू डॉयलाग लिखे जाते थे। पर्दे पर जब खलनायक (Villain) आता था तो उसकी बातों से लोग डर जाते थे और उसे देखकर नफरत तक करने लगते थे। ऐसे मे क्या आप सोच सकते हैं कि किसी फिल्म में महज तीन शब्द बोलकर कोई खलनायक हमेशा हमेशा के लिए अमर हो जाए। जी हां हम बात कर रह हैं फिल्म ‘शोले’ (Film ‘Sholay’) के मशहूर खलनायक मोहन माकीजनी (Famous villain mohan makijani) की जिन्हें दुनिया मैक मोहन (Mac mohan) के नाम से जानती हैं। आज उनका जन्मदिन है।
दरअसल मैक मोहन(Mac mohan) का जन्म 24 अप्रैल 1938 में ब्रिटिश भारत के कराची में हुआ था। उनके पिता भारत में ब्रिटिश आर्मी कर्नल थे। वो मशहूर अदाकारा रवीना टंडन के मामा भी थे। 1940 में मैक के पिता का ट्रांसफर हुआ और वो लखनऊ आ गए। मैक ने लखनऊ में पढ़ाई की और वहां उनकी दोस्ती सुनील दत्त से हो गई। कॉलेज से ही मैक ने थिएटर शुरु किया और पूणे के फिल्म एंड टैलिविजन इंस्टीट्यूट से एक्टिंग भी सीखी। मैक ने बॉलीवुड में करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। सन 1946 में उन्होंने ‘हकीकत’ फिल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की और इसके बाद उनके पास एक से बढ़कर एक फिल्मों के ऑफर आए। ‘जंजीर’, ‘सलाखें’, ‘शागिर्द’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘डॉन’, ‘दोस्ताना’, ‘काला पत्थर’। हालांकि जिस फिल्म के लिए मैक को सबसे ज्यादा याद रखा गया वो फिल्म थी ‘शोले’। फिल्म ‘शोले’ में मुख्य खलनायक गब्बर यानी अमजद खान थे। हालांकि इसमें मैक ‘सांभा’ के किरदार में दिखे थे। दिलचस्प है कि फिल्म में उनके बहुत से सीन काट दिए गए थे और सिर्फ एक सीन रखा गया। इसमें वो गब्बर के सवाल ‘कितना इनाम रखी है सरकार हम पर’ का जवाब देते हैं ‘पूरे पचास हजार’। सिर्फ इस तीन शब्द से इस फिल्म में उनका किरदार हर किसी को याद रहा। मैक ने बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्मों में खलनायक का ही किरदार निभाया था। उन्हें शायरी का भी काफी शौक था। मैक स्वभाव के बहुत अच्छे थे लेकिन उनकी एक ही आदत सबसे बुरी मानी जाती थी। वो शराब बहुत पीते थे। सिगरेट तो इतनी ज्यादा पीते थे कि माचिस की जरूरत नहीं पड़ती थी बल्कि वो सिगरेट से सिगरेट जला लिया करते थे। शायद यही उनके अंत का कारण बना। 10 मई 2010 को कैंसर के कारण मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली थी।