नई दिल्ली । देश(Country) की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी सीपीआई(Leftist party CPI) ने नेतृत्व में बड़ा बदलाव(Major change in leadership) करते हुए अनुभवी नेता एमए बेबी (Veteran leader MA Baby)को अपना नया महासचिव नियुक्त किया है। केरल से ताल्लुक रखने वाले बेबी पार्टी के पुराने और विचारधारात्मक रूप से दृढ़ नेताओं में माने जाते हैं। उन्होंने यह जिम्मेदारी उस वक्त संभाली है जब पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर लगातार चुनावी जमीन खो रही है और सांगठनिक मजबूती की तलाश में है।
नए महासचिव की नियुक्ति के साथ ही पार्टी ने अपने स्वयं के निर्धारित 75 वर्ष की आयु सीमा के नियम को लागू करते हुए प्रकाश करात, बृंदा करात, माणिक सरकार, सुभाषिनी अली जैसे वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है। हालांकि 79 वर्षीय केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को इस नियम से छूट दी गई है और वे पोलितब्यूरो में बने रहेंगे।
पोलितब्यूरो में 8 नए चेहरे
पार्टी के छह दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में 8 नए सदस्यों को पोलितब्यूरो में शामिल किया गया है। इन नामों में त्रिपुरा के नेता जितेंद्र चौधरी, तमिलनाडु से यू वासुकी व के बालाकृष्णन, राजस्थान से सांसद अमरा राम, पश्चिम बंगाल के श्रीदीप भट्टाचार्य, किसान नेता विजू कृष्णन, महिला संगठन की महासचिव मरियम धवले और पूर्व छात्र नेता आर. अरुण कुमार शामिल हैं। इसके अलावा, 30 नए चेहरों को केंद्रीय समिति में भी जगह दी गई है। कुल 84 सदस्यीय इस समिति में अब युवा और विविध पृष्ठभूमियों के नेता शामिल हैं।
महासचिव चुनाव में गुप्त मतदान
सम्मेलन के अंतिम दिन पार्टी में एक दुर्लभ घटनाक्रम देखने को मिला जब महाराष्ट्र के ट्रेड यूनियन नेता डी एल कराड़ ने केंद्रीय समिति का चुनाव लड़ने की घोषणा की। इससे पार्टी को गुप्त मतदान कराना पड़ा। कराड़ को मात्र 31 वोट मिले। नए महासचिव बनने के बाद एम ए बेबी ने कहा, “यह संगठनात्मक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चुनौती है। देश में जो राजनीतिक परिस्थिति बन रही है, उसमें पार्टी को मजबूत दखल देना होगा।” उन्होंने आगे कहा, “पार्टी कांग्रेस का उद्देश्य है कि पार्टी को पुनर्जीवित किया जाए और राष्ट्रीय राजनीति में उसकी भूमिका को बढ़ाया जाए।”
चुनौती बड़ी, आधार कमजोर
सीपीआई(एम) की स्थिति पिछले दो दशकों में तेजी से गिरी है। 2004 में 44 लोकसभा सीटें जीतने वाली पार्टी आज 2024 में केवल 4 सीटों तक सिमट गई है, जिनमें से तीन सहयोगी दलों की मदद से मिली हैं। पार्टी अब बंगाल और त्रिपुरा जैसे अपने पुराने गढ़ों में भी सशक्त उपस्थिति नहीं रखती।
तीन बड़ी चुनौतियां
एमए बेबी की अगुवाई में सीपीएम के समक्ष तीन बड़ी चुनौतियां समझी जा रही हैं। इसमें पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में संगठन का पुनर्निर्माण, केरल में तीसरी बार सत्ता में वापसी का प्रयास और उत्तर भारत में पार्टी का नया जनाधार बनाना है।
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