भोपाल। मध्यप्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां प्रदेश के ही लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही हैं या यूं कहें कि अपने ही प्रदेश को लूटने में लगी हैं तो गलत नहीं होगा। दरअसल, मध्यप्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियां, जो अपने आपको बिजली उत्पादन में सरप्लस स्टेट बताती हैं, बाहर कम दामों में बिजली बेच रही हैं। जबकि अपने ही प्रदेश के उपभोक्ताओं को एक से दो रुपए प्रति यूनिट महंगी बिजली सप्लाई कर रही हैं। सवाल उठता है कि बिजली कंपनियां दोहरा स्टैंडर्ड आखिर क्यों अपना रही हैं?
बिजली कंपनियों ने ही किया खुलासा
दरअसल, मध्यप्रदेश बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में जो प्रस्ताव पिछले वित्तीय वर्ष के लिए भेजे हैं, उसी में इस बात का खुलासा हुआ है। बिजली कंपनियां दोहरा स्टैंडर्ड अपनाते हुए बाहर सस्ती बिजली बेच रही हैं, वहीं प्रदेश के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2 रुपए तक महंगी बिजली की सप्लाई कर रही हैं।
क्या है बिजली कंपनियों की रिपोर्ट में
मध्यप्रदेश की बिजली उत्पादन में लगी कंपनियां जो अपने आपको सरप्लस स्टेट बताती हैं वो बाहर 4.89 रुपए प्रति यूनिट और अपने ही स्टेट के उपभोक्ताओं को 5.97 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली सप्लाई कर रही हैं। यही नहीं, बिजली कंपनियों ने आगामी 2024-25 के टैरिफ प्रस्ताव में भी बाहरी राज्यों को सप्लाई की जाने वाली बिजली के लिए 4.89 रुपए प्रति यूनिट, जबकि अपने राज्य के उपभोक्ताओं को 6.87 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेचने का प्रस्ताव भेजा है।
नागरिक उपभोक्ता मंच ने की विसंगति दूर करने की मांग
मध्यप्रदेश बिजली कंपनियों के इस दोहरे मापदंड के खिलाफ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने नियामक आयोग को पत्र लिखा है। इसमें विद्युत कंपनियों की इस विसंगति को दूर कर आम उपभोक्ताओं को भी उसी रेट पर बिजली देने की मांग की गई है, जिस दाम पर बाहरी राज्यों को बिजली बेचने का प्रस्ताव है। मार्गदर्शक मंच का कहना है कि विसंगति दूर नहीं की गई तो मामले को कोर्ट में ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों की धांधली के खुलासे से मध्यप्रदेश के उपभोक्ता अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।
आंकड़ों पर एक नजर
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