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म.प्र. के मेडिकल कॉलेजों के निर्माण में घटिया सरिया लगाकर करोड़ों का खेल

May 24, 2024

  • -गुजरात की कम्पनी जेपी स्ट्रक्चर को दिया है शासन ने 10 कॉलेजों के निर्माण का ठेका, डुप्लीकेट सरिए के जरिए 16 करोड़ की लूट का आरोप

इंदौर। प्रदेश शासन द्वारा कई मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कराया जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश भवन विकास निगम लिमिटेड और लोक निर्माण विभाग को सौंपा है। गुजरात की एक ही कम्पनी जेपी स्ट्रक्चर प्रा.लि. को 10 कॉलेजों के निर्माण का ठेका सौंप दिया और घटिया सरिया लगाकर करोड़ों रुपए का खेल किया जा रहा है। इन कॉलेजों के निर्माण में प्राइमरी सरिये की जगह स्क्रैप से बना डूप्लीकेट टीएमटी स्टील सरिये का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी और भविष्य में ये कॉलेज घातक भी साबित हो सकते हैं।

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव राकेशसिंह यादव का कहना है कि करोड़ों का सरिया घोटाला अभी सामने आया है, जिसमें मंदसौर, नीमच, बुधनी, छतरपुर, शिवनी, श्योपुर सहित अन्य जिलों में जो मेडिकल कॉलेज बनवाए जा रहे हैं उनमें 100 करोड़ रुपए से अधिक की हेरा-फेरी की गई है, जिसमें बुधनी सहित आधा दर्जन मेडिकल कॉलेजों में स्क्रैप से बना अंडरवेट पैरामीटर का अमानक सरिया लगाकर भी 16 करोड़ रुपए से अधिक की लूट की गई है। वे इस मामले में तथ्यों के साथ संबंधित विभागों और जांच एजेंसियों को अपनी शिकायत सौंप रहे हैं। दरअसल इन कॉलेजों के निर्माण के ठेके मध्यप्रदेश विकास निगम लिमिटेड ने दिए, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं और उपाध्यक्ष लोक निर्माण विभाग के मंत्री। ये सरिया देवास से लेकर ग्वालियर और अन्य जगह की रोलिंग मिल में तैयार कर भिजवाया जा रहा है।


इसमें जानी-मानी कम्पनियां भी शामिल है। दरअसल देश में प्राइमरी स्टील बनाने वाली 5 ही बड़ी कम्पनियों के प्लांट हैं, जिसमें सेल, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू लि. राष्ट्रीय इस्पात लि. जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड और विशाखापट्टनम् स्टील प्लांट शामिल हैं। गुजरात की कम्पनी जेपी स्ट्रक्चर प्रा.लि. को इन कॉलेजों के निर्माण केे ठेके सौंपे गए हैं और ये कॉलेज पूर्व मुख्यमंत्री के क्षेत्र बुधनी के साथ-साथ मंदसौर, नीमच, सीवनी, छतरपुर, श्योपुर में भी काम कर रही है। राजकोट की इस कम्पनी को ठेका भी भाजपा के बड़े नेताओं के इशारे पर देने का कांग्रेस ने आरोप लगाया और स्क्रैप से बने सरिये की कीमत 3 से 4 हजार रुपए टन कम पड़ती है। जानी-मानी कम्पनियों द्वारा भी इस तरह की गड़बड़ी की जाती है। हालांकि इन कम्पनियों ने अपने प्रोडक्ट को एप्रूव्ड भी करवा रखा है। इस मामले में मध्यप्रदेश भवन विकास निगम और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की ठेकेदार कम्पनी के अलावा सरिया बनाने वाली फैक्ट्रियों के साथ में भी सांठगांठ है।

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