इन्दौर। आज शहर के सभी मंदिरों में प्रात:काल होने वाली आरती जल्दी हुई। अनुष्ठान- अभिषेक पश्चात सुबह 8.27 बजे चंद्रग्रहण का सूतक लगने के पूर्व मंदिरों के पट बंद हो गए। सायंकाल 6.20 पश्चात ग्रहण समाप्त होने व शुद्धिकरण पश्चात मंदिरों के पट खोल दिए जाएंगे। इस वर्ष का यह आखिरी ग्रहण है। इंदौर में इसका समय शाम 5.43 से 6.18 बजे तक 35 मिनट रहेगा, वहीं सूतक 9 घंटे से अधिक रहेगा। खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पंडित अशोक भट्ट ने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में दैनिक पूजन के बाद खजराना गणेश मंदिर के पट सूर्योदय से ही बंद कर दिए गए। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर में शुद्धिकरण के बाद दर्शन हो सकेंगे।
रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास ने बताया कि दिनभर मंदिर के पट बंद रहेंगे। ग्रहण समाप्ति पर शुद्धिकरण के बाद मंदिर खोला जाएगा। इसके बाद भक्त दीपदान कर सकेंगे। काली मंदिर खजराना के व्यवस्थापक गुलशन अग्रवाल के अनुसार मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते, लेकिन ग्रहण के सूतक काल के दौरान मूर्ति को स्पर्श नहीं किया जाता है। गर्भगृह में प्रवेश पर भी रोक रहेगी। मंदिरों के अलावा घर-घर में आज दैनिक गतिविधियां और पूजा-पाठ अलसुबह जल्दी निपटा लिए गए। खाने-पीने की सामग्रियों में तुलसी पत्र डाला गया। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक चंद्रग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक शुरू हो गया। चंद्रग्रहण शाम को 5.27 बजे प्रारंभ होगा, जो कि शाम 6.20 बजे समाप्त होगा। इस तरह चंद्रग्रहण की अवधि 53 मिनट रहेगी। माना जाता है कि ग्रहण के सूतक काल में खाने की चीजों और खाद्य पदार्थों पर तुलसी दल डाले जाने से यह अशुद्ध नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग ग्रहण के सूतक काल के दौरान खाना खाने से परहेज रखते हैं।
धर्मशास्त्रों में यह है ग्रहण की मान्यता
धर्मशास्त्रो और हिंदू धर्म के अनुसार ग्रहण के दौरान देवी शक्तियों का प्रभाव कम होकर असुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए इस दौरान पूजा-पाठ करने की मनाही होती है। मान्यताओं के अनुसार ग्रहण में मौन अवस्था में रहकर मंत्र जाप करना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ग्रहण के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में हानिकारक किरणों का प्रभाव ज्यादा होता है।
आज शाम भारत में यहां दिखाई देगा ग्रहण
भारत में साल का आखिरी चंद्रग्रहण पूर्वी भागों में पटना, रांची, कोलकाता, सिलीगुड़ी, गुवाहाटी इत्यादि में देखा जा सकता है, वहीं भारत के अलावा इस चंद्रग्रहण को पूर्वी यूरोप, उत्तरी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के हिस्सों में देखा जा सकता है।
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