भोपाल। प्रदेश में लंपी वायरस करीब 30 जिलो में फैल चुका है। अभी तक 10 हजार संक्रमित पशु सामने आ चुके है। इनमें से करीब 130 पशुओं की मौत भी हो चुकी है। लंपी से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चल रहा है, लेकिन यह अभियान बहुत धीमा है। अभी तक प्रदेश में कुल गौवंश 1 करोड़ 87 लाख में से सिर्फ 2 लाख 86 पशुओं को ही टीका लगा है। जो कि दो प्रतिशत से भी कम है। हालांकि पश्ुा पालन विभाग ने लंपी से निपटने के लिए कुल गौवंश का ्र20 फीसदी को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। कई जिलों में टीका खत्म हो गया है। प्रभावित जिलों में पशुपालन खुले बाजार से ज्यादा कीमत पर टीका खरीदकर लगवाने को मजबूर हैं।
प्रदश्ेा में गौवंश 1 करोड 87 लाख है। इसमें से 16 लाख 96 हजार संकर प्रजाति और शेष 1 करोड़ 70 लाख देसी नक्ल के हैं। रोग को फैलने से रोकने के लिए कम से कम 20 प्रतिशत पशुओं (गोटपाक्स) का टीकाकरण करना आवश्यक है। इस लिहाज से कम से कम 36 लाख डोज की जरूरत है, जबकि तीन लाख डोज ही उपलब्ध हैं। अब तक दो लाख 86 हजार पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। जरूरत के मुताबिक वैक्सीन भी नहीं मिल रही है। इसका कारण यह है कि केवल दो कंपनियां हेस्टर और इंडियन इम्यूनोलाजिकल वैक्सीन बना रही हैं, जिससे आवश्यकता के अनुसार वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। जिन राज्यों में संक्रमण ज्यादा है, वहां ज्यादा वैक्सीन दी जा रही है।
प्रभावित क्षेत्रों में लगा रहे टीका
संचालक पशुपालन डॉ राज मेहिया ने बताया कि जहां संक्रमित पशु मिल रहे हैं वहां सभी गोवंशी पशुओं को और बाकी जगह 20 प्रतिशत को टीका लगाने का लक्ष्य है। वहीं गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने बताया कि अभी टीकाकरण को लेकर ज्यादा ध्यान गोशालाओं पर दिया जा रहा है, क्योंकि गोशालाओं में बीमारी फैली तो वहां के सभी गोवशी पशु प्रभावित हो जाएंगे।
मप्र में 50 दिन में सिर्फ 125 मरे
डॉ मेहिया ने बताया कि मप्र में लंपी ज्यादा खतरनाक नहीं है। पशु जल्दी रिकवर हो रहे हैं। रिकवरी दर 70 प्रतिशत से ज्यादा है। यही वजह है कि 50 दिन में सिर्फ 125 करीब पशु मरे हैं। अन्य प्रदेशों में ज्यादा स्थिति खराब है। उन्होंने बताया कि लंपी सभी गौवंश केा प्रभावित करता है, लेकिन देसी नस्ल की इम्युनिटी मजबूत होती है। जबकि संकर को ज्यादा नुकसान होता है।
वैक्सीन की खरीदी ऐसे हो रही
टीका खरीदने के लिए राशि भारत सरकार से मिल रही है, लेकिन खरीदी पशु चिकित्सा संचालनालय द्वारा की जा रही है। इसके अलावा जिले में पशुपालक समितियों को भी टीका खरीदने के लिए कहा गया है। टीका एक डोज लगाया जाता है जो एक साल के लिए प्रभावी होता है। हर दिन करीब 20 हजार पशुओं का टीकाकरण हो पा रहा है।
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