लखनऊ (Lucknow)। लखनऊ की पीजीआई वृंदावन कॉलोनी (PGI Vrindavan Colony) स्थित आवास विकास कार्यालय (Housing Development Office) के पास रामचरितमानस की प्रतियां जलाने (burning copies of ramcharitmanas) के आरोपियों पर रासुका (Rasuka on the accused) लगाई गई है। ये सभी अखिल भारतीय ओबीसी महासभा से जुड़े होने का दावा करते हैं।
एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास ने बताया कि 30 जनवरी को भाजपा कार्यकर्ता सतनाम सिंह (Satnam Singh) ने तहरीर दी थी, जिसमें अखिल भारतीय ओबीसी महासभा से जुड़े रायबरेली रोड सैनिक नगर निवासी सतेन्द्र कुशवाहा, आलमबाग निवासी यशपाल सिंह, साउथ सिटी के देवेन्द्र प्रताप यादव और मछली पार्क निवासी मो. सलीम को गिरफ्तार किया गया था।
एडीसीपी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) तामील किया गया है। तथ्यों के आधार पर आगे भी गिरफ्तारी की जा सकती है। वहीं, रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने को लेकर लोगों में खासा आक्रोश है। विभिन्न संगठनों ने धार्मिक ग्रंथ का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। स्वामी प्रसाद मौर्य को भी आरोपी बनाया गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया था विवादित बयान
सपा नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद सपा नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस की इस कार्रवाई से अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के सदस्य आक्रोशित थे। स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन को दर्शाने के लिए आरोपियों ने 30 जनवरी को रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थी। जिसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किया गया था। इस वीडियो के सामने आने के बाद ही पुलिस हरकत में आई।
फुटेज की मदद से प्रतियां जलाने में शामिल आरोपियों को दबोच कर जेल भेजा गया था। एडीसीपी पूर्वी ने बताया कि पड़ताल के दौरान प्रतियां छापने के लिए इस्तेमाल किए गए प्रिंटर को भी बरामद किया गया है, साथ ही एक कम्प्यूटर भी पुलिस ने कब्जे में लिया है। जांच में पता चला कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कम्प्यूटर में सेव डाटा नष्ट करने का प्रयास किया था। फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से डाटा रिकवर की कोशिश होगी।
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