नई दिल्ली (New Delhi)। देश में आम चुनावों (General elections.) के बाद शेयर बाजार (stock market) में 100 अरब डॉलर (100 billion dollars ) का विदेशी निवेश (Foreign investment) आ सकता है। जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने कहा कि अर्थव्यवस्था की आशाजनक विकास संभावनाओं और अमेरिका के फेडरल रिजर्व (Federal Reserve of America) की दर में कटौती की संभावना के चलते भारतीय बाजार आकर्षक बना हुआ है।
जेपी मॉर्गन के एक अधिकारी ने एक इंटरव्यू में बुधवार को कहा, भारत के 4.3 लाख करोड़ डॉलर वाले शेयर बाजार में वैश्विक फंड की स्थिति हल्की बनी हुई है। निवेशक बाजार के किसी भी सुधार को होल्डिंग बढ़ाने के अवसर के रूप में उपयोग करेंगे। विदेशी निवेशक पिछले दो ढाई साल से अपने निवेश को बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाए हैं। वे एक स्पष्ट और मजबूत अवसर के इंतजार में हैं। विदेशी निवेशक विकास आधारित नीतियों या सुधारों के आधार पर बाजार में निवेश बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में इस पर ज्यादा जोर दिया जा सकता है। इसलिए चुनावों के बाद नई सरकार के आने पर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में अच्छा खासा निवेश कर सकते हैं।
गोल्डमैन का भी निवेश का अनुमान
जेपी मॉर्गन से पहले गोल्डमैन सैश ने भी कहा है कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से इस दशक में भारत तेज विकास करेगा। मोदी सरकार ने बाजार-अनुकूल नीतियों को जारी रखने, बुनियादी ढांचे पर खर्च करने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने का वादा किया है।
भारत सबसे आगे रहेगा
कई निवेशकों का तर्क है कि अर्थव्यवस्था की बेहतर विकास संभावनाओं और राजनीतिक स्थिरता को देखते हुए भारत दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में आगे रह सकता है। गोल्डमैन के एशिया के इक्विटी रणनीतिकार सुनील कौल ने कहा, वैश्विक फंड भारत में निवेश बढ़ाने के इच्छुक हैं। बेहतर अवसर की तलाश में हैं। हमें उम्मीद है कि साल के उत्तरार्ध में विदेशी प्रवाह बढ़ेगा, क्योंकि चुनाव हो चुका होगा। साथ ही, केंद्रीय बैंक दरों को घटाएंगे। डॉलर भी रुपया की तुलना में कमजोर होगा।
763 अरब डॉलर है विदेशी निवेशकों का हिस्सा
जेपी मॉर्गन के अधिकारी ने कहा, भारतीय बाजार के लिए अपने उच्च मूल्यांकन को बनाए रखने के लिए नीतिगत निरंतरता जरूरी है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी के अंत तक विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयरों में हिस्सेदारी 763 अरब डॉलर थी।
दूसरी छमाही से निवेश में रहेगा उतार-चढ़ाव
पिछले साल की दूसरी छमाही से विदेशी निवेश में उतार-चढ़ाव है। लगातार तेजी से बाजार का मूल्यांकन ज्यादा हो गया है। एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 2023 में रिकॉर्ड आठ साल की तेजी को इस साल गंवा सकता है। स्मॉल और मिड-कैप में बुलबुले के कारण बाजार दबाव में हैं।
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