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    LS Election : हिसार में दिलचस्प मुकाबला, एक परिवार के तीन चेहरे एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में

  • June 04, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। हरियाणा (Haryana) की हिसार लोकसभा सीट (Hisar Lok Sabha seat) की लड़ाई राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार भूतपूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) के परिवार की सियासी जंग (Political war) बन चुकी है। इस बार यह मुकाबला बड़ा दिलचस्प है क्योंकि यहां एक ही सियासी खानदान के तीन-तीन चेहरे एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। चौधरी देवीलाल के तीसरे बेटे रणजीत चौटाला (Ranjit Chautala.) भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं तो उनके खिलाफ दो-दो बहुएं मैदान में आ खड़ी हुई हैं।


    इनमें से एक हैं पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की मां और जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार नैना चौटाला, जो अजय सिंह चौटाला की पत्नी और ओमप्रकाश चौटाला की पुत्रवधू हैं। जबकि दूसरी उम्मीदवार हैं सुनैना चौटाला जो इंडियन नेशनल लोकदल की उम्मीदवार हैं और ओम प्रकाश चौटाला के दूसरे भाई प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला की पत्नी हैं। यानी सुनैना और नैना देवरानी और जेठानी हैं, जिनका मुकाबला अपने ससुर और भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला से है।

    कांग्रेस की तरफ से जय प्रकाश को उम्मीदवार बनाया गया है। बसपा ने देश राज को मैदान में उतारा है। हिसार सीट पर 2014 में नैना चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने इनेलो के टिकट पर चुनाव जीता था। हालांकि, 2019 में दुष्यंत चौटाला को भाजपा के बृजेन्द्र सिंह ने करीब 3.14 लाख के वोटों के अंतर से हरा दिया था। उन्हीं चुनावों के बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव और उसके बाद बनी राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार में दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री बने थे। अब उनका गठबंधन भाजपा से टूट चुका है। दूसरी तरफ हिसार सीट से भाजपा के सांसद और पूर्व IAS अधिकारी बृजेंद्र सिंह ने अब भाजपा से नाता तोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है लेकिन पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया है।

    हिसार सीट पर अब तक सिर्फ एक बार 2019 में भाजपा की जीत हो सकी है लेकिन उसके मौजूदा सांसद ने भाजपा ही छोड़ दी। ऐसे में रंजीत चौटाला से पार्टी को बड़ी उम्मीद है। 1951 से 2019 तक यहां पर 7 बार कांग्रेस की जीत हुई है।

    इस सीट पर हरियाणा के दो राजनीतिक घरानों भजन लाल और देवी लाल के बीच सियासी वर्चस्व की जंग होती रही है। 1996 से 2014 तक लगातार कभी भजन लाल तो कभी देवीलाल खेमे के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। सिर्फ 2004 में कांग्रेस के जयप्रकाश ने जीत दर्ज की थी, जो फिर से पंजा छाप के उम्मीदवार बनाए गए हैं।

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