नई दिल्ली । भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि निचली अदालतों के न्यायाधीश (Lower Court Judges) निशाना बनाए जाने के डर से (For Fear of Being Targeted) जघन्य मामलों में (In Heinous Cases) जमानत देने से हिचकते हैं (Reluctant to Grant Bail) ।
न्यायाधीश जमानत देने के मामले में अनिच्छुक हैं इसका मतलब यह नहीं है कि वह क्राइम को समझते नहीं है, बल्कि वह ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने का डर होता है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्च न्यायपालिका जमानत के आवेदनों से भर गई है।
11 नवंबर 1959 को जन्में जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए थे। वह 31 अक्टूबर 2013 से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने 1998 से बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में अपनी नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था। उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर को देश की न्यायपालिका के 50वें प्रमुख बने थे। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक रहेगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का स्थान लिया था जो 9 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए थे। जस्टिस चंद्रचूड़ देश के प्रगतिशील और उदार जज के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हें नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति भी बहुत संवेदनशील माना जाता है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे। उन्होंने अपनी बात रखते हुए तबादलों को लेकर कई वकीलों के सीजेआई से मिलने पर चिंता जताते हुए कहा कि मैंने सुना है कि कुछ वकील तबादला मामले के संबंध में सीजेआई से मिलना चाहते हैं, लेकिन यदि यह कॉलेजियम के हर फैसले जिसका सरकार समर्थन करती रहती है पर बार-बार होने वाली घटना हो जाए तो यह कहां ले जाएगी। ऐसे में पूरा आयाम ही बदल जाएगा।
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