नई दिल्ली (New Delhi)। उत्तर प्रदेश की पिच (Uttar Pradesh’s pitch) को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) के लिहाज से सबसे सेफ बताया जा रहा था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता (Bharatiya Janata Party (BJP) leaders) राम मंदिर (Ram temple.) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala’s life consecration) के ठीक बाद हो रहे चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने के दावे कर रहे थे लेकिन पांचवे चरण के मतदान के बाद पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी सिर खुजाते दिख रहे हैं. वह भी नहीं समझ पा रहे कि पांचवें चरण के चुनाव में ऐसा क्या हो गया कि सभी सीटों पर ये चुनावी फाइट कांटे के मुकाबले में तब्दील हो गई। वहीं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पांचवें चरण के बाद बड़ा दावा किया है।
सियासत के जानकारों की मानें तो रायबरेली और लखनऊ, दो ऐसी सीटें हैं जो कांग्रेस और बीजेपी के लिए सुरक्षित कही जा रही हैं, यानी राहुल गांधी और राजनाथ सिंह के चुनाव को सियासत और चुनाव पर नजर रखने वाले लोग कमोबेश जीता हुआ मान रहे हैं. जबकि अयोध्या जैसी सीट पर भी टाइट फाइट की बात कही जा रही है. यह वही सीट है जिसमें राम मंदिर भी आता है।
वहीं, गांधी परिवार ने अमेठी और रायबरेली दो सीटों पर अपना पूरा जोर लगाया. माना जा रहा है कि रायबरेली कांग्रेस के खाते में जा सकती है जबकि अमेठी की सीट पर गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं लड़ रहा. इसके बावजूद इस सीट पर मुकाबला कड़ा हो गया. इसके पीछे प्रियंका गांधी की सक्रियता को वजह बताया जा रहा है।
अयोध्या पर सस्पेंस
अयोध्या सीट पर इस बार अखिलेश यादव ने नया प्रयोग किया और सामान्य सीट होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने दलित उम्मीदवार उतार दिया. अयोध्या की सबसे अधिक आबादी वाली पासी बिरादरी से उम्मीदवार दिया जो दलित वर्ग में आती है. सपा ने छह बार के विधायक, मंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे अपने सबसे मजबूत पासी चेहरे अवधेश पासी को चुनाव मैदान में उतार दिया।
बीजेपी ने यहां लल्लू सिंह को मैदान में उतारा है, जो दो बार केसांसद हैं. लल्लू सिंह के संविधान को लेकर एक बयान पर हंगामा खड़ा हो गया था और पूरे विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ एक मुद्दा मिल गया था. लल्लू ने कहा था कि 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि मोदी सरकार को संविधान बदलना है. सपा के दलित उम्मीदवार उतारने से एक नारा चल पड़ा- ‘अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ अवधेश पासी’. लल्लू के बयान और अखिलेश के दलित दांव से राम की नगरी अयोध्या में ही फाइट टाइट हो गई।
कौशांबी सीट पर भी टाइट फाइट
कौशांबी में भी फाइट टाइट है. इस सीट से एनडीए की ओर से विनोद सोनकर मैदान में हैं. विनोद सीटिंग एमपी हैं और एंटी इनकम्बेंसी का भी फैक्टर है. चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए जिनमें अलग-अलग जातियों की नाराजगी की बात कही जा रही थी. इस सीट से सपा ने अपने दूसरे सबसे बड़े पासी चेहरे इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज को मैदान में उतारा है।
कई सीटों पर कड़ा मुकाबला
बांदा, बाराबंकी, मोहनलालगंज के साथ ही बुंदेलखंड की सीटों पर भी कड़े मुकाबले की बात कही जा रही है. बांदा से बीजेपी ने सीटिंग एमपी आर पटेल को फिर से मैदान में उतारा है. आर पटेल को लेकर ब्राह्मणों की नाराजगी के पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए. बसपा ने इस सीट पर ब्राह्मण चेहरे को ही मैदान में उतार दिया. अब चर्चा ये है कि बसपा की सोशल इंजीनियरिंग और सपा का पीडीए दांव चल निकला (जैसा दोनों दलों के नेता दावा कर रहे हैं) तो बीजेपी उम्मीदवार की राह मुश्किल हो सकती है।
बाराबंकी में चर्चा है कि दलित समाज का बड़ा तबका प्रचार के दौरान कद्दावर कांग्रेस नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया के समर्थन में नजर आया. सपा के स्थानीय नेताओं के मुताबिक पार्टी के वोट कांग्रेस को ट्रांसफर हुए हैं. अगर ऐसा है तो बीजेपी उम्मीदवार की राह मुश्किल हो सकती है।
लखनऊ से सटे मोहनलालगंज की सीट हो या फिर बुंदेलखंड की सीटें, जानकार भी यह कह रहे हैं कि एकतरफा मुकाबले जैसा सीन नहीं है. झांसी, जालौन, हमीरपुर और बांदा में भी मुकाबला कड़ा है।
अमित शाह का बड़ा दावा- 5वें चरण के मतदान के बाद BJP को 310 सीटें मिल चुकीं
इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने लोकसभा चुनाव के 5 चरण पूरे होने के बाद बड़ा दावा किया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी को 310 सीटें मिल चुकी हैं। शाह ने कहा, ‘पांचवें चरण के मतदान के बाद भाजपा को 310 सीट पहले ही मिल चुकी हैं। छठे और सातवें दौर के मतदान के बाद हम 400 से अधिक सीट हासिल कर लेंगे।’ उन्होंने ओडिशा के लोगों से अपील की कि वे राज्य को बाबू-राज से आजाद कराएं और भाजपा को केंद्र व राज्य दोनों में सरकार बनाने के लिए समर्थन दें। शाह ने संबलपुर में दो चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार ओडिशा में कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) खिलेगा। संबलपुर सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मैदान में उतारा है।
अमित शाह ने आरोप लगाया कि राज्य में मुट्ठी भर अधिकारियों का शासन है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव राज्य में मौजूदा बाबू राज को समाप्त कर देगा। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की ज्यादातर खदानें और खनिज भंडार क्योंझर जिले में स्थित होने के बावजूद यहां के आदिवासियों को कोई लाभ नहीं मिला है। शाह ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि देश भर में कोई आतंकवाद न हो। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर) भारत का था और यह हमारे पास रहेगा। भारत पीओके वापस लेगा।’
कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया: शाह
कांग्रेस की पिछली सरकार पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा, ‘कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातीय मामलों के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया था, जबकि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए काम किया है।’ उन्होंने कहा कि मोदी ने डीएमएफ (जिला खनिज फाउंडेशन) का गठन किया है और आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए करोड़ों रुपये दिए हैं। भाजपा नेता ने कहा, ‘मोदी सरकार के दौरान जनजातीय मामलों के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है जबकि पिछली संप्रग शासन के दौरान 25,000 करोड़ रुपये दिए गए थे।’
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