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    ‘लव जिहाद’ मामले में जज की टिप्पणी से आहत हुई पीड़िता, पत्र लिखकर राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु

  • July 30, 2024

    इंदौर (Indore) । कोर्ट केस (Court Case) की यह घटना शायद हमें फिल्म दामिनी के उन दृश्यों की याद दिला देगी, जिसमें दुष्कर्म पीड़िता (Victim) के साथ हुई घटना को कोर्ट रूम में बड़े ही बेहुदा तरीके से पूछा जाता है। रुपहले पर्दे की यह घटना इंदौर की एक कोर्ट में भी दोहराई गई, जिसके बाद पीड़िता ने राष्ट्रपति तथा सुप्रीम कोर्ट (President and Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखकर (writing a letter) या तो न्याय देने या फिर आत्महत्या करने की इजाजत देने की गुहार लगाई है।

    मामला लव जिहाद से जुड़ा है। इसमें एक पीड़िता से अपनी पहचना छिपाते हुए मुस्लिम युवक ने दोस्ती की फिर उसका शारीरिक शोषण किया। आरोपी ने उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया और रुपयों का लालच भी दिया। मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया, लेकिन युवती से क्रॉस एग्जामिनेशन के समय कुछ ऐसी बातें बोलीं गईं कि वह शर्मसार हो गई। युवती का कहना है कि यदि राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्याय नहीं दिलवा सकते तो इच्छामृत्यु की अनुमति दे दें।

    पूरी कहानी पीड़िता की जुबानी…
    मेरे माता-पिता मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। मैं घर की सबसे छोटी लड़की हूं। 2015 में मेरी शादी हुई थी, लेकिन मेरे पति किसी और को चाहते थे। इस कारण हम 2017 में अलग हो गए । दो साल बाद यानी 2019 में अशरफ मंसूरी नाम के व्यक्ति का “हेलो ऐप” के जरिए मुझे मैसेज आया कि आप मुझसे दोस्ती करेंगी। जब मैंने वो आईडी देखी तो उस पर अशरफ मंसूरी का नाम लिखा था। 15 दिनों तक अशरफ मुझे मैसेज करता रहा, लेकिन मैंने जवाब नहीं दिया। मैसेज के 15 दिन बाद अशरफ ने मुझे ऐप पर कॉल किया।


    पीड़िता ने उससे कहा कि आप मुस्लिम हो, मेरे घर वालों को यह पसंद नहीं है, लेकिन अशरफ ने अपनी पहचान छिपाते हुए कहा कि यह मेरी आईडी नहीं है। यह मेरे दोस्त की आईडी है। मैंने उससे साफ मना किया कि मैं आपसे दोस्ती या बात नहीं कर सकती हूं। कुछ दिनों बाद अशरफ ने आशु नाम की आईडी बनाकर मुझसे बात की और अपने पिता का नाम रमेश तथा भाई का नाम राहुल बताया। अशरफ मंसूरी ने बताया कि मेरा ऑटो डील का काम है। इसके बाद रोजाना हम बात करते रहे। पहली बार आशु (अशरफ मंसूरी) मुझसे मिलने खजराना आया। पीड़िता ने उससे साफ कह दिया कि मैं किसी के साथ दोस्ती तभी करूंगी जब वो मेरा जीवनसाथी बने। मैं किसी का टाइम पास नहीं बनूंगी।

    आशु ने बताया कि वो मालवीय समाज का है, लेकिन अभी वो शादी नहीं कर सकता, क्योंकि घर में उसके भाई-बहनों की शादी के बाद ही वह शादी करेगा। हमारी दोस्ती में नजदीकियां बढ़ी। अशरफ मसूरी रोजाना नई-नई गाड़ियां लाता था और मुझे अपने दोस्त के फ्लैट पर ले जाता था और शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करता था। 2020 में हमारी दोस्ती को 8 महीने हो गए थे। एक दिन आशु (अशरफ मंसूरी) का फोन बंद आया तो मैंने उसके दोस्त को फोन कर पूछा कि क्या आपको पता है कि आशु का फोन क्यों बंद है? जिस पर उसने साफ मना कर दिया कि मैं किसी आशु को नहीं जानता। जब मैंने उसे फोटो भेजा तो उसके दोस्त ने बताया कि यह आशु नहीं इसका नाम अशरफ मंसूरी है। यह सुनकर पीड़िता के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसी दिन 2 घंटे बाद आशु का फोन आया, तो मैंने उससे कहा कि तुमने तुम्हारी पहचान छिपाई, जिसके बाद हमारे बीच काफी विवाद हुआ और मैंने अपना फोन बंद कर लिया।

    कुछ दिन बाद आशु उर्फ अशरफ मंसूरी मेरे घर और जिस जगह मैं काम करती हूं, वहां आने लगा। पहले मुझे दोनों के फोटो सोशल मीडिया पर वाइरल करने की धमकी देने लगा, लेकिन मैं नहीं मानी तो उसने अपने आपको जान से खत्म करने की धमकी दी। मुझे लगा कि यह मुझसे प्यार करता है। मैंने कहा कि अब घर वालों से बात कर हम शादी कर लेते हैं, उसने कहा कि मैं तुम्हारा धर्म नहीं बदलवाऊंगा। तुम हिंदू धर्म में ही रहना। कुछ दिनों बाद आशु ने अपना रंग दिखाना शुरू किया। उसने परिवार वालों से बात नहीं की और शादी से साफ मना कर दिया। उसने कहा कि तुम मुस्लिम धर्म अपनाओगी तभी मैं शादी करूंगा। इसके बाद पीड़िता ने थाने पर अशरफ और उसके भाई बुरकान के खिलाफ थाने पर केस दर्ज करवाया।

    पीड़िता बोली, कोर्ट में मेरे बयान चल रहे थे और लोग ठहाके लगा रहे थे
    पीड़िता ने बताया कि पुलिस ने प्रकरण पंजीबद्ध कर दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया, लेकिन इस मामले में लगातार कोर्ट में ट्रायल चल रहे हैं। 25 जुलाई को जब मेरे क्रॉस बयान हो रहे थे, तब मुझसे इस तरह से सवाल किए गए जिन्हें बताने में भी शर्म आ रही है। किसी दुष्कर्म पीड़िता से दरवाजा बंद कर बात करने की बजाय दरवाजे खोलकर सभी के सामने बयान हुए। पूछा गया कि गाड़ी में कैसे कोई बलात्कार कर सकता है? जब मेरे बयान चल रहे थे तो मौजूद लोग ठहाके लगा रहे थे। इसकी शिकायत पीड़िता द्वारा उच्च न्यायालय सहित सभी जगह की गई।

    …ऐसा लगा मानो मेरे चरित्र का हनन हो रहा है
    ट्रायल के दौरान पीड़िता से पूछी गई कई बातें ऐसी थी कि जिन्हें सुनकर पीड़िता को ऐसा लग रहा था कि न्याय मिलने की बजाय उसके चरित्र का हनन हो रहा है। श्रीमान ने मुझसे कहा कि मैं भी जिंस और टी-शर्ट पहनकर निकलूंगा। इस प्रकार की लड़कियां मेरे साथ भी घूमने निकल जाएंगी। आजकल इस प्रकार की बाजारू लड़कियों का कोई चरित्र नहीं बचा है। यह लड़कियां मात्र रुपए लेने की नीयत से झूठे प्रकरण दर्ज करवाती हैं। इन सभी बातों से आहत होकर अब पीड़िता ने राष्ट्रपति, उच्च न्यायालय सहित महिला आयोग को शिकायत की है।

    पीड़िता ने राष्ट्रपति को चिट्ठी में ये लिखा
    पीड़िता ने न्याय देने या फिर इच्छामृत्यु की इजाजत देने की गुहार लगाते हुए राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में कहा कि जज साहब के शब्दों से मेरे मन में कोर्ट की छवि धूमिल हुई। जब जज साहब सवाल पूछ रहे तो वहां बैठे लोग ठहाके लगा रहे थे। जब मुझसे सवाल पूछे जा रहे थे तो कोर्ट रूम का दरवाजा खुला था। जज साहब ने कई ऐसे सवाल किए जिससे मुझे काफी लज्जा महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि एक गाड़ी में किस प्रकार किसी के साथ बलात्कार की घटना हो सकती है। मैंने कहा कि यह मैंने नहीं लिखवाया है, इसे मनमाने तरीके से कोर्ट में लिखा गया है।

    इस पर जज साहब ने कहा कि अगर मैं जींस टीशर्ट पहनकर निकलूंगा तो इस तरह की लड़कियां मेरे साथ भी निकल जाएंगी। आजकल इस प्रकार की बाजारू लड़कियों का कोई चरित्र नहीं बचा है। ऐसी लड़कियां मात्र रुपये लेने की नियत से झूठे केस दर्ज करवाती हैं। जज साहब ने मुझसे पूछा कि क्या तुमने रुपये प्राप्त कर लिए। इस पर कोर्ट रूम में बैठे सभी लोग ठहाके मारकर हंसने लगे। जज साहब की बातों को देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे न्याय नहीं मिलेगा। अतः माननीय महोदय से निवेदन है कि मुझे न्याय नहीं दिलवा सकते तो इच्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करें।

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