पणजी (Panaji) । गोवा के बीच पर इन दिनों रूसी पंडितों की भरमार देखी जा सकती है। ये रूसी लोग ज्योतिष से लेकर हीलिंग करने तक से लोगों से पैसे कमा रहे हैं। गोवा के अरामबोल बीच पर यह पेशा इन रूसियों की आय का खास जरिया बना हुआ है। गोवा घूमने (goa tour) आए ये रूसी सैलानी हर शाम को बैटरी चार्ज लैंप के साथ देखे जा सकते हैं। ये रूसी वैसे तो घूमने के लिए आते हैं लेकिन इसी बीच ये लोग छुट्टियों (holidays) में भी आय का साधन निकाल लेते हैं। इनमें से कई रूसी लोग आपको चाय बेचते हुए दिखेंगे तो कुछ आपको भविष्य बताते हुए हस्तरेखा देखते नजर आएंगे। वहीं कोरोना महामारी के बाद बिच पर बाजार में काफी बदलाव देखने को मिला है। जिसमें खासकर ये रूसी ज्योतिष से लेकर डॉक्टरी सेवाएं देकर उसके बदले पैसा कमा रहे हैं। इन रूसियों के पैसा कमाने की ललक के आगे भारतीय विक्रेताओं की आमदनी में खासा गिरावट देखी जा रही है।
भाग्य बताने से लेकर डॉक्टरी तक
गोवा में हर शाम अरामबोल बीच लंबे समय तक यहां पर टिकने वाले रूसी पर्यटकों (russian tourists) की गतिविधियों से भरा रहता है। हालांकि इनकी कोई फिक्स इनकम नहीं होती है। राज्य में छुट्टियों का मजा लेने के लिए इन्हें आमदनी की जरूरत होती है। जिसकी वजह से ये लोग चाय बेचने से लेकर तरह-तरह का व्यापार करते हैं। इनमें भाग्य बताने वाले हस्तरेखाविद्, मरहम लगाने वाले, चिकित्सक (doctor) समेत झोलाछाप के रूप में रूसी अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। बिच पर टहल रहे घरेलू पर्यटकों के लिए यह एक मनोरंजक स्थल रहता है। इसलिए घरेलू लोगों को इन रूसियों से भविष्य जानने में खासा दिलचस्पी भी रहती है। ये लोग भविष्य के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हाथ की रेखाओं को रूसियों को दिखाते हैं। लोग जानना चाहते हैं कि उनके लिए आने वाला समय कैसा रहेगा।
रूसी लोगों की रोजाना ठीकठाक आमदनी
इन रूसी ज्योतिषियों के परामर्श शुल्क अज्ञात हैं क्योंकि वे केवल अपनी मातृभाषा बोलते हैं। लेकिन एक दिलचस्पी रखने वाले भारतीय पर्यटक ने उनसे अंग्रेजी में बात करने की कोशिश की। पहले यहां के बाजार में देखने को मिलता था कि स्नैक्स बेचने वाले केवल एक या दो विक्रेता होते थे। हालांकि इस बार तैयार भोजन से लेकर विभिन्न प्रकार के गर्म पेय पदार्थों तक ये रूसी सब कुछ बेच रहे हैं। 40 रुपए के छोटे पेपर कप में चीनी और रूसी चाय बेचने वाले जिम ने कहा, ‘रूसी चाय से अच्छी महक आती है। यह तीखी होती है और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाती है। आराम करने और जागते रहने के लिए चाय की एक गोली ही काफी है।’रूसी चाय की पत्तियां बेचने वाले एलेक्स ने शाम 7.30 से 8 बजे के बीच बाजार बंद होने तक आसानी से लगभग 1,000 रुपये कमा लिए थे। उन्होंने कई बार गोवा का दौरा किया है और कुछ कोंकणी शब्द भी सीखे हैं।
मुश्किल में भारतीय विक्रेता
100 से अधिक विदेशी विक्रेताओं में से दो से तीन भारतीय विक्रेता बाहर खड़े थे। एक ने दर्द निवारक तेल और अन्य पेंटिंग बेचीं, लेकिन किसी के पास ग्राहक नहीं थे। हालांकि भारत में निर्मित कुछ चीजें थीं। जो कि बिक्री के लायक थीं, लेकिन वह भी एक रूसी महिला के जरिए ही बेची गईं। आन्या ने महज 200 रुपये में पाचन समस्याओं के लिए चिकित्सकीय परामर्श की पेशकश की। डॉक्टर होने का दावा करते हुए अन्या ने अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा, ‘मैंने रूस में विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है और सात साल तक मरीजों की सेवा की है।’ उसने कहा कि वह तीन से चार महीने के लिए अरमबोल में ही रहना चाहती है। क्योंकि वह गोवा से प्यार करती है।
इसी बीच रूसी विक्रेताओं के बगल में ही उनका एक और साथी बैठा था। जिसने 100 से लेकर 300 रुपये तक की फीस के लिए चिकित्सा समाधान की पेशकश की थी। इस अनिवार्य रूप से रूसी बाजार में आश्चर्य का कोई अंत नहीं है। भीख मांगने वाला एक युवा रूसी जीविका चलाने की कोशिश कर रहे सभी विक्रेताओं के बीच खड़ा था। उसने कहा कि वह जंगल में रहता है और उसे साफ करता है। उसके सामने एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था, ‘मेरा समर्थन कर आप प्रकृति का समर्थन कर रहे हैं।’
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