नई दिल्ली। इस साल में आईपीओ का बाजार गरम है। सेकंडरी बाजार जिस तरह से एक बार फिर पिछले सप्ताह 66,000 के स्तर के पार चला गया था, उसी तरह से प्रारंभिक बाजार में इस हफ्ते छह आईपीओ आ रहे हैं।
इस सप्ताह कुल छह कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम आने हैं। इनसे कंपनियां 7,300 करोड़ जुटाएंगी। इसमें पांच मुख्य प्लेटफॉर्म के और एक एसएमई इश्यू है। इस कैलेंडर साल में अब तक 40 आईपीओ आए हैं और इस हफ्ते को मिलाकर 46 हो जाएंगे। इनमें 38 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके निवेशकों को सूचीबद्धता के दिन ही अच्छा फायदा मिला है।
मुख्य प्लेटफॉर्म की तुलना में छोटे एवं मझोले यानी एसएमई आईपीओ ने निवेशकों की झोली खूब भरी है। इनके शेयरों में सूचीबद्धता के दिन निवेश की रकम दोगुना से ज्यादा हो गई है। जिन निवेशकों ने निवेश महीने या दो महीने तक बनाए रखा, उनका निवेश मूल्य कई गुना बढ़ गया है।
एसएमई के निर्गम में जोखिम ज्यादा
एसएमई आईपीओ में ज्यादा जोखिम है। मिले-जुले तरीके से इनके शेयरों की कीमतें बढ़ाई जाती है, जबकि मुख्य प्लेटफॉर्म के न्यूनतम निवेश 15 हजार रुपये की तुलना में यहां कम-से-कम निवेश दो लाख का है। फिर भी इन आईपीओ को 500 गुना तक रिस्पांस मिल रहा है। ऐसे में यह संदेहास्पद मामला है। सेबी इसकी जांच भी कर रहा है। एसएमई के आईपीओ छोटे होते हैं व मुख्य प्लेटफॉर्म की तुलना में आसानी से सूचीबद्ध हो जाते हैं।
वैश्विक बाजारों में भारतीय इश्यू का बढ़ता हिस्सा
भारतीय आईपीओ वैश्विक बाजारों में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल कर रहे हैं। 2021 में वैश्विक आईपीओ बाजार में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 6 फीसदी थी, जो 2022 में बढ़कर 11 फीसदी हो गई। इस साल की पहली छमाही यानी जून तक यह 13 फीसदी के पार पहुंच गई।
वित्तीय सलाहकार के मुताबिक किसी भी आईपीओ में पैसा लगाने से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति, प्रबंधन, आगे की योजना और कारोबार को जरूर देखें। साथ ही, एक औसत दर्जे का फायदा मिलने पर निकल भी जाएं।
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