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कुत्तों की भरमार, फिर 4 करोड़ की मार

February 02, 2023

निगम ने फिर नसबंदी के टेंडर जारी किए… अब तक 60 हजार श्वानों की फर्जी नसबंदी

इंदौर। दो संस्थाओं को नगर निगम (Nagar Nigam) ने पहले ही श्वानों की नसबंदी के लिए करोड़ों का भुगतान किया है और उसके बावजूद आवारा श्वानों के काटने की घटनाएं बंद नहीं हो रही हैं। निगम का दावा है कि 60 हजार से  ज्यादा श्वानों की नसबंदी कर दी गई है और बड़ी संख्या में नसबंदी होना है। इसी के चलते नई संस्था के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। एक श्वान की नसबंदी पर नगर निगम 925 रुपए का भुगतान करता है।


शहर में आवारा श्वानों की संख्या फिर बढऩे और उनके काटने की शिकायतें झोनलों से लेकर नगर निगम मुख्यालय (Municipal Headquarters) तक पहुंच रही हैं। कुछ झोनों के अंतर्गत यह शिकायतें ज्यादा हैं और इसके बावजूद वहां कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हाईकोर्ट ने भी इस मामले को लेकर नगर निगम को फटकार लगाई थी। नगर निगम ने श्वानों की नसबंदी के लिए वेट सोसायटी फार एनिमल वेलफेयर रूलर डेवलपमेंट हैदराबाद और रेडिक्स सोसायटी (Hyderabad and Radix Society) को जिम्मा सौंपा है। इसके लिए छावनी स्थित एक सेन्टर और आवारा श्वान पकडऩे के लिए वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। इन सबके बावजूद अभियान धीमी गति से ही चल रहा है, जिसके कारण लोग आवारा श्वानों के शिकार बन रहे हैं। प्रोजेक्ट का काम देख रहे नगर निगम के अधिकारी डा. उत्तम यादव के मुताबिक अब इसके लिए नए सिरे से टेंडर जारी किए गए हैं। चार करोड़ के टेंडर में कई नई फर्मों से श्वानों की नसबंदी के आवेदन मंगवाए गए हैं और उसके बाद दरों के आधार पर इसका फैसला किया जाएगा।

प्रति श्वान की नसबंदी के लिए 925 रुपए का भुगतान

अधिकारियों के मुताबिक दोनों संस्थाओं ने अब तक 60 हजार से ज्यादा श्वानों की नसबंदी की है और इसके लिए ट्रेंड स्टाफ के साथ-साथ डाक्टरों की टीम भी रखी है। निगम इसके लिए दोनों संस्थाओं को प्रति श्वान की नसबंदी के लिए 925 रुपए की राशि का भुगतान करता है। अलग-अलग क्षेत्रों से हर रोज आवारा श्वानों को पकडक़र छावनी स्थित सेंटर ले जाया जाता है और वहां आपरेशन की प्रक्रिया के लिए तीन दिन तक श्वानों को वहीं रखा जाता है फिर जिन क्षेत्रों से उन्हें प$कड़ा गया था, वहीं छोड़ दिया जाता है।

नई संस्थाएं आईं तो पुरानी को हटाएंगे

वर्षों से श्वानों की नसबंदी में जुटी वेट सोसायटी फार एनिमल वेलफेयर संस्था के साथ-साथ रेडिक्स संस्था को भी नई संस्था आने के बाद हटाया जा सकता है। जब तक नई संस्था अपना कामकाज शुरू न कर दें, तब तक पुरानी संस्थाओं को काम करने दिया जाएगा। हालांकि अभी टेंडर में विभिन्न शर्तों के साथ नई संस्थाओं के मामले फाइनल किए जाने का काम आला अधिकारियों की टीम करेगी।

शहर में कुल कितने श्वान अफसरों को भी नहीं मालूम

यादव का कहना है कि अब तक बड़ी संख्या में श्वानों की नसबंदी की जा चुकी है, लेकिन शहर में कुल कितने श्वान हैं, इसकी जानकारी का कोई रिकार्ड नही है। 29 गांव के हिस्से शहरी सीमा में शामिल हुए थे, जिसके कारण श्वानों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। अनुमान के तौर पर डेढ़ लाख से ज्यादा श्वान शहर में हैं। उनका कहना है कि इस मामले में एक दिक्कत यह भी आती है कि श्वान अधिकांश अलग-अलग जगह पर भ्रमण करते रहते  हैं और इसी के चलते उनकी गणना अब तक नहीं हो पाई है।

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