झुंझुनूं। राजस्थान (Rajasthan) के झुंझुनूं के 97 वर्षीय सैनिक बलवंत सिंह (Soldier Balwant Singh) ने अपनी पेंशन की जंग जीत ली है। द्वितीय विश्वयुद्ध (World War II) के दौरान बलवंत सिंह ने 1944 में अपना एक पैर गंवा दिया था, जिसके बाद उन्हें सेवानिवृत्त (Retired) कर दिया गया था। तभी से बलवंत सिंह पेंशन पाने के लिए संघर्षरत थे। आखिरकार उनके परिवार और खुद के हौसलों से आज उन्होंने सिस्टम से लडक़र पेंशन प्राप्त करने की जंग भी जीत ली।
आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान जाबांज सैनिक बलवंत सिंह ने 15 दिसंबर, 1944 को इटली (Italy) में मित्र देशों की सेना के लिए भारतीय दल (Indian contingent) के साथ लड़ते हुए अपना एक पैर गवां दिया था। दरअसल युद्ध के दौरान एक बारूदी सुरंग विस्फोट (Landmine blast) होने के चलते उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया। इसके बाद दो साल इसी वजह से उन्हें सेना सेवा से बाहर कर दिया गया, लेकिन दुखद ये रहा है कि अपना पैर गंवाने के बाद भी उन्हें कई सालों तक अपनी पेंशन का इंतजार करना पड़ा और आखिरकार उनके परिवार और खुद के हौंसलों से आज उन्होंने सिस्टम से लडक़र पेंशन प्राप्त करने की जंग भी जीत ली।
लखनऊ एएफटी में भी सामने आया था मामला
सामान्य विकलांगता पेंशन (Disability pension) सामान्य से सिर्फ 30 प्रतिशत है । पेंशन, लेकिन उन्हें युद्ध विकलांगता पेंशन (Disability pension) दी जानी चाहिए जैसा कि गढ़वाल के एक सैनिक के मामले में लखनऊ एएफटी (Lucknow AFT) द्वारा किया गया था। युद्ध के दिग्गज ने तीन साल, दो महीने और 16 की सेवा के बाद 11 मई, 1946 को सेवा छोड़ दी।
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