नई दिल्ली: शेयर बाजार में निवेश अनिश्चितताओं का खेल है और यहां पैसे लगाने वाले को नुकसान और फायदा दोनों ही होता है. यह तो सभी को पता है कि शेयर बाजार से फायदा होने पर आपको इनकम टैक्स देना पड़ेगा, लेकिन यह बात कम ही लोग जानते हैं कि अगर आपको शेयर बाजार में नुकसान हो गया है तो अगले 8 साल तक इसकी भरपाई इनकम टैक्स विभाग करेगा. सुनकर चौंक गए न!
निवेश सलाहकार और इनकम टैक्स मामलों के जानकार का कहना है कि आयकर कानून के तहत अगर आपको शेयर बाजार में निवेश पर लाभ होता है तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. यह भी आपके निवेश की अवधि के हिसाब से दो तरह से लगाया जाता है. अगर आपने खरीदे गए शेयरों को सालभर के अंदर बेचकर मुनाफा कमाया तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG Tax) चुकाना होगा.
वहीं, अगर आप खरीदे गए शेयरों को 3 साल के बाद बेचते हैं तो उससे हुए मुनाफे पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG Tax) चुकाना पड़ेगा. इनकम टैक्स के सेक्शन 111A के तहत शेयरों से हुए मुनाफे पर STCG Tax 15 फीसदी की दर से लगाया जाता है, जबकि LTCG Tax की दर 20 फीसदी होती है. अगर आपको शेयर बाजार में नुकसान हुआ है तो इस नुकसान के एवज में आप लांग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाने से बच सकते हैं.
आयकर कानून कहता है कि अगर किसी निवेशक को लांग टर्म के निवेश पर नुकसान हुआ है तो वह इसका एडजस्टमेंट अगले 8 साल तक शॉर्ट टर्म और लांग टर्म दोनों तरह के निवेश से हुए फायदों के साथ कर सकता है. यानी जब तक आपका घाटा और मुनाफा बराबर न हो जाए, आपको कैपिटल गेन टैक्स चुकाने से छूट रहेगी. हालांकि, शॉर्ट टर्म में हुए नुकसान की भरपाई आप सिर्फ शॉर्ट टर्म के फायदों के साथ ही कर सकेंगे.
क्या है एडजस्टमेंट का गणित
मान लीजिए किसी को शेयर बाजार में निवेश किए गए शेयरों पर 3 साल के बाद 1 लाख रुपये का नुकसान हो गया है तो इसे अगले 8 साल तक हुए मुनाफे से समायोजित किया जा सकता है. ऐसे समझें कि आपको अगले साल शेयर बाजार से 20 हजार का मुनाफा होता है तो इस पर टैक्स भरने की जरूरत नहीं होगी. इसी तरह, आगे भी हुए फायदे पर टैक्स नहीं भरना होगा. जब तक कि आपका फायदा नुकसान से ज्यादा न हो जाए.
ध्यान रखें निवेशक
शेयर बाजार के नुकसान को आगे हुए फायदों से एडजस्ट करने के लिए यह ध्यान रखना होगा कि निवेशक हर साल अपना इनकम टैक्स रिटर्न टाइम पर भरें. इससे यह फायदा भी होगा कि आपको नुकसान देने वाले शेयरों की समय रहते पहचान हो जाएगी और उन्हें अपने पोर्टफोलियो से बाहर निकालना आसान हो जाएगा.
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