नई दिल्ली (New Dehli) । आरोप पत्र (charge sheet) के अनुसार, चंदा कोचर (Kochhar) पर आरोप है कि उन्होंने एमडी-सीईओ (CEO) बनने के बाद एक मई 2009 को वीडियोकॉन (videocon) ग्रुप छह रुपया टर्म लोन (Loan)(आरटीएल) मंजूर किये। जून 2009 से अक्टूबर 2011 तक बैंक ने वीडियोकॉन को 1,875 करोड़ रुपये के आरटीएल स्वीकृत किये।
आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सीबीआई ने हाल ही में कोचर दंपती सहित वीडियोकॉन के संस्थापक के खिलाफ 10 हजार पन्नों के आरोप पत्र को सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष दायर किया था। आरोप पत्र में कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को दिए गए ऋण में से 1000 करोड़ रुपये गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गई।
पढ़िए, आरोप पत्र में क्या कहा गया
आरोप पत्र के अनुसार, चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने एमडी-सीईओ बनने के बाद एक मई 2009 को वीडियोकॉन ग्रुप छह रुपया टर्म लोन (आरटीएल) मंजूर किये। जून 2009 से अक्टूबर 2011 तक बैंक ने वीडियोकॉन को 1,875 करोड़ रुपये के आरटीएल स्वीकृत किये। अगस्त 2009 में वीडियोकॉन को 300 करोड़ की आरटीएल मंजूर करने वाली दो सदस्यीय समिति की भी अध्यक्ष थीं। अक्टूबर 2011 में आईसीआईसीआई ने वीडियोकॉन को 750 करोड़ के आरटीएल की मंजूरी दी। आरोप पत्र के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन को स्वीकृत ऋण सुविधाएं जून 2017 में एनपीए में बदल गईं। इससे बैंक को 1033 करोड़ रुपये और ब्याज का नुकसान हुआ।
सस्ते दामों में मिला घर
वीडियोकॉन की अलग-अलग कंपनियों को राशि वितरित की गई, जिसमें से 64 करोड़ रुपये निवेश के रूप में दीपक कोचर की न्यूपावर रिन्यूएबल लिमिटेड में भेज दिए गए। सीबीआई का आरोप है कि चंदा वीडियोकॉन के एक फ्लैट में मुंबई में रहती थी। अक्टूबर 2016 में 11 लाख रुपये वही फ्लैट कोचर के पारिवारिक ट्रस्ट को सौंप दिया गया। जबकि, फ्लैट की असल कीमत उस वक्त 5.25 करोड़ रुपये थी।
सीबाआई को हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
सीबीआई ने 2019 में आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियिम के तहत केस दर्ज करते हुए चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत सहित न्यूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आरोपी माना था। सीबीआई ने दिसंबर 2022 को चंदा कोचर और उनके पति को गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी। सीबीआई ने धूत को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन अभी वे भी जमानत पर हैं। हाईकोर्ट ने सीबीआई को लापरवाही में गिरफ्तार करने के कारण फटकार लगाई थी।
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