गोमा। लगभग दो दशकों में पहली बार शनिवार को कांगो(Congo) के गोमा शहर (Goma city) के नजदीक स्थित ज्वालामुखी माउंट नीरागोंगो (Volcano erupted Mount Niiragongo)फट गया, जिससे रात में पूरा आसमान लाल हो गया। लावा (Lava) बहकर एक प्रमुख राजमार्ग पर आ गया। इससे लगभग 20 लाख की आबादी वाले गोमा शहर के निवासी दहशत में (Resident in panic) आ गए और घरों से भागे।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गोमा को उत्तर किवु प्रांत के बेनी शहर से जोड़ने वाले एक राजमार्ग पर लावा (Lava on the highway) पड़ा है। अभी यह साफ नहीं हो सका है कि ज्वालामुखी फटने (Volcanic eruptions) से कितने लोगों की जान गई है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने ज्वालामुखी फटने की आशंका के मद्देनजर क्षेत्र से निकलने का कोई आदेश नहीं दिया था। यह ज्वालामुखी पिछली बार वर्ष 2002 में फटा था तब यहां सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और लावा हवाईअड्डे के सभी रनवे पर पहुंच गया था।
हालांकि ज्वालामुखी फटने के बाद दहशत में आए हजारों लोग शहर से चले गए हैं। कई लोग पैदल ही शहर के बाहर की रवांडा सीमा की ओर पैदल ही चल दिए हैं। कार के हॉर्न और मोटरसाइकिल व टैक्सियों की आवाजें बता रहीं थी कि लोग किस तरह दहशत में भाग रहे हैं।
ज्वालामुखी से बचने के लिए कई लोग महानगरीय क्षेत्र के सबसे ऊंचे स्थान गोमा पर्वत की ओर भाग गए। ज्वालामुखी के फटने के लक्षण दिखने के लगभग एक घंटे बाद अपना घर छोड़ कर गोमा पर्वत की ओर निकलने वाले डोरकास मुबुलयी ने बताया कि हम सब खा रहे थे, तभी पिताजी के एक दोस्त ने उन्हें फोन किया और कहा कि जाओ और बाहर देखो।
उसने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने ज्वालामुखी के संभावित विस्फोट के बारे में हमें समय सूचित भी नहीं किया। उसने कहा कि अधिकारियों के तत्काल घोषणा न करने और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले परस्पर विरोधी सूचनाओं से अराजकता बढ़ी।
गोमा ज्वालामुखी पर वेधशाला के अधिकारियों ने शुरू में सूचना दी थी कि यह पास के न्यामुलगिरा ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ है। यहां दो ज्वालामुखी लगभग 13 किलोमीटर (8.1 मील) दूरी पर स्थित हैं। ज्वालामुखी विशेषज्ञ चार्ल्स बालगीजी ने कहा कि वेधशाला की रिपोर्ट उस दिशा पर आधारित थी, जिस ओर से लावा बहता हुआ दिखाई दे रहा था। जो कि गोमा के बजाय रवांडा की ओर था।
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