भोपाल । इस बार 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास (Devshayani Ekadashi to Chaturmas) शुरू हो रहे हैं। इसके साथ ही सभी तरह के मांगलिक कार्य लगभग 4 महीने के लिए बंद हो जाएंगे। चातुर्मास (Chaturmas) को देवताओं का शयन काल माना जाता है। इस समयावधि में भगवान श्री हरि योग निद्रा में विश्राम करते हैं। इस बार खास बात यह है कि भगवान विष्णु बीते 6 साल में 3 दिन कम सोएंगे।
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी ने शनिवार को हिन्दुस्थान समाचार को उक्त जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष के आरंभ में ही देवगुरु वृहस्पति और शुक्र के अस्त होने के कारण पहले ही विवाह जैसे मांगलिक संस्कार के लिए कम मुहूर्त थे। मार्च में कुछ विवाह हुए और 9 अप्रैल से दोबारा लॉकडाउन लग गया। जून में थोड़ा सा ढील मिला, तो अब आगे चतुर्मास आरम्भ हो रहा है। इस तरह 2021 के ज्यादातर मुहूर्त ग्रह गोचर की स्थिति और कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए।
उन्होंने बताया कि चतुर्मास के बाद नवंबर में चार और दिसंबर में 13 मुहूर्त ही शादी के बचेंगे। यानी विवाह के अधिकतर मुहूर्त कोरोना की भेंट चढ़ गए। अब एक बार फिर से शहनाई, बैंड, बाजा, बारात पर ब्रेक लगने जा रहा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में विश्राम करते हैं। इस बार इस समयावधि चंद्रमा के तेज गति से तिथियों का क्षय होने से पूरे 4 महीने नहीं होकर 3 दिन की कमी रहेगी। अर्थात् इस बार भगवान विष्णु 3 दिन कम सोएंगे। यह संयोग छह साल बाद पड़ा है।
उन्होंने बताया कि भगवान के शयन काल में शुभ कार्य नहीं होते। अब 18 जुलाई के बाद नवंबर में ही शादियां होगी। देवउठनी एकादशी के बाद पहला मुहूर्त 20 नवंबर को होगा। जनवरी-फरवरी 2022 में क्रमशः शुक्र और गुरु अस्त हो जाएंगे। इसके चलते वर्ष 2022 के शुरुआती महीने में केवल 6 मुहूर्त ही विवाह के मिलेंगे। ऐसे में जनेऊ, मुंडन संस्कार, विवाह आदि नहीं होंगे, लेकिन खरीदारी कर सकेंगे। चतुर्मास में शादी के अलावा जनेऊ, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, नए कार्य की शुरुआत समेत सभी शुभ कार्य प्रतिबंधित हो जाएंगे, लेकिन खरीदारी बिक्री पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
क्या है योग निद्रा मायाः
डॉ. तिवारी ने बताया कि ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार एक बार योग निद्रा ने बड़ी कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया। उनसे प्रार्थना की कि भगवान आप मुझे अपने अंगों में स्थान दें, लेकिन श्री हरि ने देखा कि उनका अपना शरीर तो लक्ष्मी के द्वारा अधिकृत है। इस तरह का विचार कर विष्णु ने अपने नेत्रों में योग निद्रा को स्थान दे दिया और योग निद्रा को आश्वासन देते हुए कहा कि तुम वर्ष में 4 माह के लिए मेरे नेत्रों में आश्रित रहोगी।
चतुर्मास का वैज्ञानिक महत्वः
उन्होंने बताया कि चतुर्मास का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो इन दिनों में बारिश होने से हवा में नमी बढ़ जाती है। इस कारण बैक्टेरिया और कीड़े, मकोड़े ज्यादा हो जाते हैं। उनकी वजह से संक्रमण रोग अधिक तथा अन्य बीमारियां होने लगती है। इनसे बचने के लिए खानपान में सावधानी रखने के साथ संतुलित जीवन शैली अपनानी चाहिए। इन 4 माह को व्रतों का माह इसलिए कहा गया है, क्योंकि इस दौरान हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ती है, वहीं भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। इनमें भी प्रथम माह तो सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस संपूर्ण माह व्यक्ति को जहां तक हो सके व्रत का पालन करना चाहिए।
चतुर्मास में क्या करना चाहिए?
डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, देवताओं के पूजन, मंत्र, सिद्धि और मनोवांछित कामना की पूर्ति के लिए अद्वितीय अवसर चतुर्मास को माना गया है। इस दौरान अर्गला स्त्रोत का पाठ करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। रोग मुक्ति के लिए सावन मास में रुद्राभिषेक करने से रोग दूर होते हैं। गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से धन की बढ़ोतरी होती है। इस दौरान दूध, शक्कर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।
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