• img-fluid

     नागचन्द्रेश्वर भगवान का विधि-विधान से हुआ पूजन

  • August 02, 2022

    उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के शीर्ष शिखर पर स्थित नागचन्द्रेश्वर भगवान (Nagchandreshwar Lord) के साल में एक बार खुलनेे वाले पट सोमवार की रात्रि 12 बजे खुले। कोरोना काल के दो साल बाद भक्तों को भगवान नागचंद्रेश्वर ((Nagchandreshwar Lord)) के दर्शन हुए। मन्दिर के पट मंगलवार की रात्रि 12 बजे बन्द होंगे। इस दौरान भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के लगातार 24 घंटे लाखों श्रद्धालु दर्शन करेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।

    महाकालेश्वर भगवान के मंदिर के शीर्ष पर स्थित नागचन्द्रेश्वर भगवान के पट खुलने के पश्चात पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के महंत विनीत गिरी एवं मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया गया। नागचन्द्रेश्वर भगवान की प्रतिमा के पूजन के पश्चात वहीं गर्भगृह स्थित शिवलिंग का भी पूजन किया गया।

    कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी उज्जैन के नागनागेश्वर मंदिर में नागपंचमी के अवसर पर पट खुलने पर दर्शन किये। मंत्री पटेल ने भगवान नागनागेश्वर से प्रार्थना करते हुए सभी का कल्याण, सभी का विकास और किसानों का भंडार भरा रहे। ऐसी कामना के साथ मध्यप्रदेश प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की कामना की। शासकीय पूजन आज दोपहर 12 बजे होगा। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा मंगलवार को महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा पूजन-आरती की जायेगी।



    नागपंचमी पर्व पर लाखों श्रद्धालु लेंगे दर्शन-लाभ

    नागपंचमी पर्व पर आज (मंगलवार को) महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में महाकाल मन्दिर के शीर्ष शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान के पूजन-अर्चन के लिये लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे। भक्तों को पहली बार फुटओवर ब्रिज के रास्ते नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर स्थित हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में श्री शिवजी, माँ पार्वती श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं साथ में दोनों के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

     

    Share:

    अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत स्कूल में किया आयोजन

    Tue Aug 2 , 2022
    महिदपुर रोड। नगर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अमृत महोत्सव के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान प्राचार्य शिवनारायण बामनिया, शिक्षक अशोक पोरवाल, बंसीलाल सोलंकी आदि ने अमृत महोत्सव के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी।
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    मंगलवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved