पुरी: ओडिशा के पुरी धाम (Puri Dham of Odisha) में जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) निकल रही है. जगन्नाथजी अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार हो चुके हैं. मंदिर से निकल कर तीन रथों में सवार हो चुके हैं और अब यात्रा भगवान की मौसी गुंडिचा देवी के भवन पहुंचेगी. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Rath Yatra of Lord Jagannath) को देखने के लिए पुरी में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ है.
यात्रा से पहले तीनों रथों को जगन्नाथ मंदिर के पूर्वी द्वार, जिसे सिंह द्वार भी कहते हैं, उसके सामने खड़ा किया गया था. यहीं पर भगवान की प्रतिमाओं को श्रीमंदिर से लाकर रथों पर सवार किया गया. यहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जा रहा है. इसके बाद भगवान गुंडिचा धाम में एक सप्ताह रहेंगे. आठ दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ की पुरी वापसी के साथ ही रथ यात्रा समाप्त होगी.
इस साल की रथयात्रा रवि पुष्य नक्षत्र में हो रही है, जो कि एक खास संयोग है. रविवार को नव यौवन दर्शन, नेत्रोत्सव (पुजारियों द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान) और रथ यात्रा एक ही दिन पड़ रहे हैं, जिसके लिए पुजारियों और प्रशासन ने पहले से तैयारियां पूरी कर रखी थीं. जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव के लिए ओडिशा के सीएम मोहन चरण माझी भी श्रीमंदिर क्षेत्र पहुंचे.
यात्रा में किसी तरह की परेशानी न आए इसके लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने 7 और 8 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है. पुरी के कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि सारे अनुष्ठान सुचारु रूप से जारी हैं. भगवान के आशीर्वाद से सभी कार्यक्रम और विधान कुशलता से जारी है. पुलिस अधीक्षक पिनाक मिश्रा ने मीडिया को बताया कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों सुरक्षा बलों को कानून और सुरक्षा व्यवस्था प्रबंधन करने और भीड़ नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया है. यात्रा में कोई बीमार हो जाए तो इसके लिए भी तैयारी की गई है.
विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु भी पुरी पहुंची हैं. भुवनेश्वर एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर से पुरी के तालाबाणिया स्थित हेलीपैड पर उतरने के बाद वह वहां से कड़ी सुरक्षा के बीच राजभवन पहुंची. इसके बाद शाम 4 बजे वह बड़दांड पहुंचीं. राष्ट्रपति के साथ-साथ राज्यपाल रघुवर दास और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी भी थे. राष्ट्रपति 6 से 9 जुलाई तक ओडिशा की चार दिवसीय यात्रा पर हैं.
रविवार दोपहर 1 बजे से चतुर्धा विग्रह को रत्न वेदी से रथ पर लाकर विराजमान करने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बाद रथ पर होने वाली तमाम रीति संपन्न की जा रही है. इस बार नैनासर उत्सव और पहंडी एक ही दिन होने के कारण समय थोड़ा कम मिला, इसलिए बहुत से श्रद्धालु नैनसार के बाद दर्शन नहीं कर सके. तीनों देवताओं की पहंडी प्रक्रिया और दर्शन भी सिर्फ सेवायतों तक ही सीमित रहे. भगवान को मंदिर से बाहर लाने की प्रक्रिया ही पहंडी कहलाती है. इस रीति में सेवायत शाही तरीके से प्रतिमाओं को बाहर लाते हैं. मंदिर के श्रद्धालु घंटा, काहली और तेलिंगी बाजा बजाते हुए आगे बढ़ते हैं और देवता हाथों पर झूलते हुए बाहर लाए जाते हैं. पहंडी दर्शन के लिए भी कम समय ही मिल सका है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भगवान जगन्नाथ की यात्रा के अवसर पर शुभकामनाएं दीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं. आज देश-दुनिया के अनगिनत जगन्नाथ प्रेमी रथ पर सवार तीनों ठाकुरों के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं. पीएम मोदी ने भी रथयात्रा के शुभ अवसर देश को शुभकामानएं दीं.
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