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    मई में इस दिन मनाया जाएगा भगवान बुद्व का जन्‍मोत्‍सव, पढ़ें उनके अनमोल विचार

  • May 23, 2021

    बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव है. यह बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए सबसे बड़ा उत्सव है। मान्‍यता है कि महात्‍मा बुद्ध का जन्‍म वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) को हुआ था। वैशाख माह की पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन उन्‍हें बोधि वृक्ष (Bodhi Tree) के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिसके बाद से वो बुद्ध कहलाए जाने लगे। इस साल 26 मई, बुधवार को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी। बौद्ध धर्म के संस्‍थापक गौतम बुद्ध को भगवान बुद्ध, सिद्धार्थ और महात्‍मा बुद्ध जैसे नामों से भी जाना जाता है।

    महात्‍मा बुद्ध ने अपने अनुयायियों को कई कल्‍याणकारी शिक्षाएं दीं। उनके प्रेरक विचारों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है और उनकी इन शिक्षाओं पर चलकर जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है और शांति का अनुभव किया जा सकता है। आप भी जानिए उनके अनमोल विचार-



    खुद से ज्‍यादा प्रेम कोई नहीं करता
    आप पूरे ब्रह्माण्ड (universe) में कहीं भी ऐसे व्यक्ति को खोज लें, जो आपको आपसे ज्यादा प्यार करता हो, आप पाएंगे कि जितना प्यार आप खुद से कर सकते हैं, उतना कोई आपसे नहीं कर सकता है।

    बांटने से बढ़ती है खुशी
    हजारों दीयों को एक ही दिए से बिना उसके प्रकाश को कम किए हुए जलाया जा सकता है। इसी तरह खुशी बांटने से बढ़ती है, कम नहीं होती। वहीं सत्य के रस्ते पर कोई दो ही गलतियां (Mistakes) कर सकता है। या तो वह पूरा सफर तय नहीं करता या सफर की शुरुआत ही नहीं करता।

    बुरे दोस्त से भयभीत होना चाहिए
    एक निष्ठाहीन और बुरे दोस्त से जानवरों की अपेक्षा ज्यादा भयभीत होना चाहिए, क्यूंकि एक जंगली जानवर सिर्फ आपके शरीर को घाव दे सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग (brain) में घाव कर जाएगा।

    उन्‍हें मन की शांति नहीं मिलती
    आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्यांकन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें। वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, उन्हें मन की शांति कभी प्राप्त नहीं होती। इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है, उसे बाहर न तलाशें।

    क्रोधित होना खुद को जलाना है
    क्रोधित रहना इसी तरह है जैसे किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला कोई अपने हाथ में रख ले, जो तुम्हीं को जलाता है। इसके अलावा हम अपने विचारों से ही अच्छी तरह ढलते हैं। हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं। जब मन पवित्र होता है तो खुशी परछाईं की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है।

    नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

     

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