डेस्क। वैशाख माह के अंतिम दिन वैशाख पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार महात्मा बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध, भगवान विष्णु और भगवान चंद्रदेव की पूजा का विधान है। इस दिन जल का दान सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। इस पुण्य कार्य से त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन जल से भरा मिट्टी का घड़ा मंदिर में दान करें।
वैशाख पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के कार्यों का विशेष महत्व है। इस दिवस को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है और इसे अन्न दान की प्रथा माना जाता है। मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर व्रत करने और भगवान श्री हरि विष्णु एवं चंद्रदेव का पूजन करने से जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं। सुख-शांति की प्राप्ति होती है। वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय में स्नान करना चाहिए।
इस दिन जरूरतमंदों को शक्कर के साथ तिल दान करने से पापों का क्षय होता है। इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएं। इस व्रत में एक समय भोजन करें। इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के साथी सुदामा जब द्वारिका पहुंचे थे तो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता दूर हुई। इस दिन गंगा स्नान विशेष फलदायी होता है। इस दिन सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए। वैशाख पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजाने में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है।
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