जबलपुर। अंतर्राज्यीय बस टर्मिनस (आईएसबीटी)से चलने वाली बसों में हर रोज नियमों को ताक पर रखकर निजी बस संचालक ट्रांसपोर्टेशन करते आ रहे हैं। यह बस संचालक हर मोटर व्हीकल एक्ट को अपनी जेब में रखकर सीधे तौर पर सरकार को टैक्स न देकर अपनी जेब तो भर ही रहे हैं और तो और खुलेआम यात्रियों की जान से खिलवाड़ भी कर रहे हैं। तस्करी की श्रेणी में आने वाला यह माल अंतर राज्यीय बस टर्मिनस आईएसबीटी में छोटे मालवाहकों के जरिए पहुंचा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इस तरह से गुड्स से भरा यह सफर कितना खतरनाक है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है लेकिन पुलिस और आरटीओ की मिली भगत से यह सब रोज हो रहा है। शहर से किसी भी रूट की बस को आप आते जाते आसानी से देख सकते हैं कि इसमें कितना ट्रांसपोर्टेशन ढोया जा रहा है। यात्री बसों के साथ-साथ टूरिस्ट बसों में भी यही हाल है। सिवनी, बालाघाट, मंडला, सतना ,रीवा कटनी, मैहर , और जहां-जहां भी जी रूट पर यह ट्रांसपोर्ट स्टेशन किया जा सकता है लगातार हो रहा है वह भी बड़े-बड़े अधिकारियों के इशारे पर। आईएसबीटी में सुबह से लेकर रात तक बसों में गुड्स भरे जा रहे हैं। इतना ही नहीं इंद्रजीत बस संचालकों ने अपनी अपनी भाषा में अलग से भी कार्टून बंडल रखे जाने की व्यवस्था करवा कर रखी है और तो और डिक्की में भी यह सब सामान भरकर यहां से वहां पहुंचा रहे हैं। यह आश्चर्य से काम नहीं है कि इतना सब रोज हो रहा आ रहा है और जिम्मेदार मुंह में दही जमाए बैठे हैं।
कोई रोक-टोक नहीं
आईएसबीटी यही कुछ खास सूत्रों का कहना है कि यह सब यहां रोज होने वाला काम है जबकि सिर्फ यात्रियों और उनके सामान आदि लेने की अनुमति बस ऑपरेटर को है। बसों की छतों पर और बसों पर ही साइट पर बने केबिन में लाखों का सामान रखकर यहां से वहां भेजा जाता है। इतना ही नहीं कई बसें ऐसी भी यहां से संचालित हो रही हैं जिनका परमिट भी समाप्त हो चुका है, इसी तरह ऑल इंडिया परमिट की बसों में भी मनमाना लगेज ढोया जा रहा है। वह भी सरासर गलत है लेकिन कार्रवाई करने वाले खुद ऐसा करवा रहे हैं तो फिर कोई क्या करेगा।
दोनों बसों के यही हाल
चाहे टूरिस्ट बसे हो या अन्य यात्री बसें इन दोनों में ही जमकर ट्रांसपोर्टेशन किया जा रहा है। रोज लाखों का ट्रांसपोर्टेशन इन बसों के द्वारा इधर से उधर होता है। लेकिन यह सब परमिट देने वालों को नहीं दिखता। सूत्रों का कहना है कि मालूम सब कुछ है पर समय पर सबका खर्चा पानी बंधा हुआ है इस कारण यह सब चलता आ रहा है। जबकि नियम कायदों की बात की जाए तो यह सरासर गलत है। अगर किसी बस में इस तरह का ट्रांसपोर्टेशन किया जाता है तो तत्काल ही उसका परमिट रद्द होना चाहिए पर यहां ऐसा बिल्कुल नहीं है।
प्रतिबंधित है निजी वाहन
जानकारों का कहना है कि आईएसबीटी में अंदर तक निजी वाहन लाना बिल्कुल प्रतिबंधित है और इसके लिए बैरियर भी लगाया गया है। लेकिन इस सबके बावजूद भी इन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। ऑटो, ई रिक्शा, और अन्य छोटे-मोटे मालवाहकों में यह ट्रांसपोर्टेशन का सामान सुबह से लेकर रात तक आता जाता है वह भी निजी वाहनों में इन्हें ना कोई देखने वाला है ना कोई रोकने वाला ऐसे में अब आवे ढंग से ट्रांसपोर्टेशन नहीं होगा तो और क्या होगा। इस बस स्टैंड से दर्जनों अवैध बसें भी संचालित हो रही हैं उनके विषय में भी कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ना तो उनका कोई फॉर्मेट चेक होता है और ना ही बेसन का रखरखाव देखा जाता है। कौन सी बस फिट है या अनफिट है यह सब भी कभी नहीं देखा जाता। बस पैसे देते जाओ और अपना काम करते जाओ इसी तर्ज पर यहां यह सब सालों से चला आ रहा है।
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