इंदौर। उच्च शिक्षा के सपने दिखाने और उन्हें पूरा करने के लिए मोटी रकम वसूल रहे कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर अब डंडा चलेगा। शहर के एक नामी-गिरामी संस्थान में उजागर हुए मामले के बाद कोचिंग संस्थान को न सिर्फ फीस वापस लौटाने के निर्देश जारी किए गए हैं, बल्कि 30 दिन के अंदर मानसिक परेशानी और परिवाद के खर्च के पैसे भी लौटाने के आदेश उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने किए हैं।
तेजी से एजुकेशनल हब के रूप में विकसित हो रहे इंदौर जिले में कोचिंग संस्थानों की मनमानी बढ़ती जा रही है। मनमाने शुल्क की वसूली के साथ अपने ही नियम चलाने वाला ये संस्थान हिटलरशाही पर उतर आया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में पहुंची शिकायत के अनुसार इंदौर जिले में कोचिंग चला रहा कल्पवृक्ष एजुकेशनल इंस्टिट्यूट बच्चों को पढ़ाने के साथ माता-पिता को ठगने का काम भी कर रहा है। हरिओम पिता दयानंद शर्मा निवासी राघौगढ़ गुना ने शिकायत दर्ज कराई कि उन्होंने अपने बेटे चैतन्य शर्मा को जेईई की ड्रापर बैच में तैयारी के लिए एक वर्ष के लिए एडमिशन कराया था। उक्त संस्थान द्वारा 1 लाख 45 हजार रुपए की फीस जमा कराई गई और बताया गया कि यदि एक माह के भीतर बच्चा कोचिंग छोड़ देता है तो उसे दी गई राशि की 50 प्रतिशत रकम वापस कर दी जाएगी, लेकिन संस्थान अपने वादे से मुकर गया और बच्चे के संस्थान में नहीं पढऩे के बावजूद पूरी रकम डकार गया।
गंभीर बीमारी लगी, फिर भी नहीं लौटा रहे फीस
आवेदक द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 19 सितम्बर 2022 से बेटे को पढ़ाने भेजा, लेकिन 15 दिन में ही उसकी तबीयत खराब हो गई और उसे इरलेजबल बाउल सिंड्रोम डिटेक्ट हुआ। डाक्टरों की रिपोर्ट व आवेदन देते हुए पिता ने कोचिंग संस्थान को उक्त राशि लौटाने के लिए सूचित भी किया, लेकिन पिछले एक साल से सिर्फ धक्के नसीब हो रहे हैं। साथ ही संस्थान के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया जा रहा था, जिसके बाद उपभोक्ता आयोग में शिकायत की।
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