नई दिल्ली। देश में अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार, यूपी जैसे राज्यों में कई युवा अभी भी इस योजना का विरोध कर रहे हैं. लेकिन भारत सरकार (Indian government) ने अग्निपथ योजना लाने से पहले कई सालों की प्लानिंग की है. उनकी तरफ से एक्सपर्ट से बात की गई है और एक रोडमैप तैयार किया है.
मिली जानकारी के मुताबिक अग्निपथ योजना के जरिए सरकार सिर्फ पेंशन को कम नहीं करना चाहती है, बल्कि आने वाले समय में आर्मी में जवानों की संख्या को कम करने पर भी जोर है. कहा जा रहा है कि वर्तमान में सेना में जवानों की संख्या 13 लाख से ज्यादा है. लेकिन इसी आंकड़े को अब आने वाले सालों में 11 लाख के अंदर में लाने की कोशिश की जाएगी. इस बारे में एक सरकारी अधिकारी बताते हैं कि आने वाले दस साल में एक तय प्रक्रिया के तहत इसे किया जाएगा. ऐसा देखा गया है कि अगर देश की सेना को मॉर्डन बनना है, अगर टेक्नोलॉजी में एंडवास होना है, तो ऐसे में मैनपॉवर इंटेनसिव नहीं बन सकते हैं.
वर्तमान में सरकार (government) की सबसे बड़ी चुनौती ये भी है कि डिफेंस बजट बढ़ाने के बावजूद भी सेना के पास नए और ताकतवर हथियारों की कमी रहती है. इसका कारण ये है कि अभी भी रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा पेंशन देने में निकल जाता है. आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं. साल 2022 में रक्षा बजट के लिए 5,25,166.15 करोड़ रुपये दिए गए थे. लेकिन इसमें नए हथियारों की खरीदारी के लिए सिर्फ 1,52,369.61 करोड़ रुपये ही बचे हैं.
अग्निपथ योजना के जरिए एक और पहलू पर भी सरकार काम कर रही है. अभी इस समय सेना में जवानों की औसतन उम्र ज्यादा चल रही है. समय के साथ इसे भी कम करना एक चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है. सरकार मानकर चल रही है कि अग्निपथ योजना इस दिशा में भी कारगर सिद्ध हो सकती है. कहा जा रहा है कि आने वाले सालों में औसतन उम्र 30 से कम होकर 25 तक पहुंच जाएगी.
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