नई दिल्ली। दिल्ली क्षेत्र की बीमा लोकपाल ने कहा कि बीमा कंपनियां पॉलिसी की गलत तरीके से बिक्री पर रोक लगाएं। उन्होंने कहा, ग्राहक ही राजा हैं और उनके कारण ही बीमा कंपनियां अस्तित्व में हैं। कंपनियों को उत्पादों की गलत बिक्री से बचना चाहिए।
भारतीय जीवन बीमा निगम की पूर्व प्रबंध निदेशक सुनीता शर्मा ने कहा, आमतौर पर ग्राहकों को बीमा पॉलिसी देखने एवं उस पर विचार के लिए जो छूट अवधि होती है, उस समय तक संबंधित कंपनियां उनसे जुड़ी रहती हैं और उसके बाद गायब हो जाती हैं।
इस कारण ग्राहक उसके बाद गलत बिक्री का दावा नहीं कर सकते। पॉलिसीधारकों को अपने नियमों और शर्तों की समीक्षा करने व स्वीकार्य नहीं होने पर उन्हें वापस करने के लिए पॉलिसी प्राप्त होने की तारीख से कम-से-कम 15 दिन का समय मिलता है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ली गई पॉलिसी के मामले में अवधि 30 दिन है।
टीपीए की भूमिका की करें समीक्षा
लोकपाल ने कहा, यह पाया गया है कि पॉलिसी के नियम एवं शर्तों से जुड़ा दस्तावेज (सेल्फ कंटेन्ड नोट) बीमा कंपनियों की ओर से समय पर नहीं आता है। ऐसे में यह सलाह दी जाती है कि इन्हें 10 दिन के निर्धारित समय के भीतर ग्राहकों को भेजा जाना चाहिए। टीपीए की भूमिका की समीक्षा की भी जरूरत है क्योंकि कई मामलों में बीमाकर्ता उनसे प्रभावित होते हैं।
2022-23 में मिली थीं 55,946 शिकायतें
बीमा लोकपाल दिवस के मौके पर विभिन्न संबंधित पक्षों से बात करते हुए सुनीता शर्मा ने कहा, 2022-23 के दौरान सभी 17 बीमा लोकपाल कार्यालयों में प्राप्त शिकायतों की कुल संख्या 55,946 थी। इनमें से बीमा लोकपाल के कार्यालयों ने 51,625 या 92.28 फीसदी का निपटान किया। दिल्ली केंद्र ने 2022-23 में प्राप्त सभी 5,257 शिकायतों का निपटान किया।
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