उज्जैन। मध्य प्रदेश के नये लोकायुक्त ने महाकाल लोक कारीडोर प्रोजेक्ट घोटाले के मामले में समन भेजा है तथा स्मार्ट सिटी एवं प्रोजेक्ट के सयाने अधिकारियों ने जो दस्तावेज दिए हैं वह पढऩे में नहीं आ रहे हैं तथा पूर्व में भी लोकायुक्त ने साफ फोटोकापी भेजने के लिए कहा गया था जिसे नहीं सुना गया। अधिकारियों को समन भेजा गया है।
महाकाल लोक कारीडोर प्रोजेक्ट घोटाला मामले में नवनियुक्त लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र सिंह ने उज्जैन स्मार्ट सिटी अधिकारियों को समन जारी किया है। उन्होंने उज्जैन स्मार्ट सिटी के कार्यकारी निदेशक को पेश होने के लिए बुलाया है। अधिकारी को 27 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया है। सूत्रों ने कहा कि कुछ अधिकारियों के असहयोग के बाद जाँच में रुकावट आ गई थी। उज्जैन स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने लोकायुक्त के समक्ष महाकाल लोक परियोजना से संबंधित बिलों और कुछ दस्तावेजों की धुंधली प्रतियाँ जमा की थी, जिससे जाँच प्रक्रिया प्रभावित हो गई थी। कागजात बहुत खराब गुणवत्ता वाले और पढऩे योग्य नहीं थे, इसलिए अधिकारियों को उन्हें दोबारा जमा करने के लिए कहा गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। इसी तरह के दस्तावेज पहले भी जाँच अधिकारी के सामने पेश किए गए थे, जिसके बाद चेतावनी जारी की गई थी। लोकायुक्त की तकनीकी टीम ने भुगतान के बिलों के अलावा परियोजना की माप और अन्य विवरण भी मांगा था। सप्तऋषि मूर्तियों के ढहने सहित तीन अलग-अलग मामलों में चल रही जाँच को जोड़ते हुए दूसरी शिकायत के संबंध में अधिकारियों को एक रिमाइंडर भेजा गया था। 316 करोड़ रुपये की लागत वाले महाकाल लोक कारीडोर के पहले चरण का उद्घाटन 11 अक्टूबर 2023 को किया गया था। निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में पहली शिकायत दर्ज होने के बाद, लोकायुक्त ने 15 लोगों को नोटिस जारी किया था। पूरा प्रोजेक्ट अनुमानित 850 करोड़ रुपये का है।
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