इंदौर। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ताबड़तोड़ प्रदेश की मोहन सरकार ने नए लोकायुक्त की नियुक्ति की थी, जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए इस नियुक्ति को रद्द करने और उसकी प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए शासन के जवाब में लोकायुक्त की नियुक्ति को वैध और विधिसम्मत शासन की ओर से बताया गया।
प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कल सौंपे गए शपथ-पत्र में यह दावा किया गया कि नेता प्रतिपक्ष को विधिवत इसकी सूचना दी गई। यानी उनकी राय-शुमारी ली गई। दरअसल, लोकायुक्त की नियुक्ति के संबंध में नेता प्रतिपक्ष की भी राय ली जाती है। प्रदेश शासन द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति को जायज बताते हुए नेता प्रतिपक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की गई और यह भी कहा कि इस याचिका का उद्देश्य पब्लिक सिटी और बेबुनियाद आरोप लगाए जाना है।
शासन की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह भी दावा किया गया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश के आधार पर लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल नेता प्रतिपक्ष को भेजी गई थी और संबंधित अधिकारियों ने भी उन्हें प्रक्रिया और नियम की जानकारी दी और इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने भी उनसे फोन पर विस्तृत चर्चा भी की, जिस पर नेता प्रतिपक्ष ने ना तो कोई अपनी राय दी और ना ही सिफारिश पर आपत्ति दर्ज करवाई। अब राजनीतिक लाभ उठाने के लिए मीडिया के जरिए बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।
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