इंदौर। पैरामेडिकल कॉलेजों (Paramedical Colleges) में छात्रवृत्ति (scholarship) का बड़ा घोटाला (Paramedical Colleges) 10 साल पहले उजागर हुआ था, जिसमें 39 कॉलेज (39 colleges) लिप्त पाए गए। मगर उसके बाद दबाव-प्रभाव के चलते जांच ठंडे बस्ते में ही रही और पिछले दिनों लगभग 20 प्रकरणों में चालान पेश हुए। वहीं अब लोकायुक्त जल्द ही 19 बचे हुए प्रकरणों में भी चालान पेश करेगा। कुछ मामलों में चालान की अनुमति के लिए जो प्रस्ताव भेजे गए थे उनमें कमियां निकालकर वापस लौटा दिए, तो विधानसभा में भी इस पर हंगामा मचा और लोकायुक्त ने ही सबसे पहले केस दर्ज किया।
इस पूरे घोटाले में निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों के साथ आदिम जाति कल्याण विभाग के कई अधिकारी भी आरोपी बनाए गए। वहीं छात्रों के नाम से जो छात्रवृत्ति निकाली गई उनसे जुड़े अधिकारियों के भी बयान लिए गए, क्योंकि कई छात्रों ने अपने बयानों में इस बात से इनकार किया कि उन्हें ना तो छात्रवृत्ति मिली और ना ही उन्होंने कॉलेजों में प्रवेश लिया। दरअसल, कॉलेज संचालकों ने दस्तावेजों की फोटो कॉपी के आधार पर छात्रों का फर्जी प्रवेश करवाकर उनके बैंक खाते खुलवाए और उसमें राशि जमा होने के बाद निकाल ली। लगभग 100 करोड़ रुपए तक का यह छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया, जिसको लेकर मीडिया में भी खबरें प्रकाशित हुई। कई जगह तो कॉलेजों का ही अता-पता और भवन नहीं पाए गए। इंदौर में ही ऐसे 39 प्रकरण सामने आए, जिनमें प्रशासन ने भी कुर्की, जब्ती और वसूली की कार्रवाई शुरू की। कुछ समय पूर्व तक प्रशासन ने लगभग 50 लाख की वसूली की थी। हालांकि कुछ कॉलेज कोर्ट से स्टे भी ले आए थे, जिसके चलते भी फिर जांच और वसूली की प्रक्रिया प्रभावित हुई। इधर लोकायुक्त ने भी लगभग 20 प्रकरणों में चालान पेश कर दिए हैं। वहीं अब शेष बचे 19 मामलों में भी जल्द चालान पेश होने की जानकारी सामने आई है। 2015 में लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने 39 पैरामेडिकल कॉलेजों की छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू की थी और प्रदेशभर में ही इस तरह के कई प्रकरण दर्ज हुए, जिसमें कॉलेज संचालक, प्रिंसिपल सहित कई आरोपी बनाए गए। अब बचे मामलों में भी चालान पेश करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
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