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लोकायुक्त ने घोटाला साबित किया, फिर अचानक खात्मा पेश कर डाला

September 25, 2022

हिना पैलेस महाघोटाले में सभी विभाग करते रहे माफिया की मदद, सहकारिता, निगम से लेकर पुलिस महकमे ने भी सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की
इंदौर। भूमाफियाओं (Land Mafia) के चंगुल में फंसी श्रीराम गृह निर्माण (Shri Ram Home Construction) सहित अन्य संस्थाओं (Institutions) की हड़पी जमीन ( Land) पर विकसित की गई अवैध हिना पैलेस (Hina Palace) का फर्जीवाड़ा (Forgery) एक बार फिर सुर्खियों में है। कलेक्टर मनीषसिंह (Collector Manish Singh) ने 50 पेज की विस्तृत जांच रिपोर्ट में 500 करोड़ के इस महा-भूघोटाले की पोलपट्टी खोल डाली और सिलिंग की धारा 20 की मिली छूट के दुरुपयोग के चलते जमीन को सरकारी घोषित करने का प्रस्ताव भी शासन को भिजवा दिया। दूसरी तरफ भ्रष्टाचार से लडऩे के लिए बनाए गए लोकायुक्त संगठन (Lokayukta Organization) की स्थिति यह है कि उसने 8 साल पहले जोर-शोर से हिना पैलेस के नियमितीकरण में हुए घोटाले का प्रकरण दर्ज किया, जिसमें भू-माफियाओं के साथ-साथ निगम, सहकारिता विभाग के अफसरों की भूमिका भी चिह्नित की और अपनी जांच रिपोर्ट में घोटाला दस्तावेजों में साबित भी किया, लेकिन फिर अचानक खात्मा पेश कर डाला। लोकायुक्त ने श्रीराम, वैभवलक्ष्मी, टेलीकॉम संस्थाओं के साथ-साथ इस पूरे घोटाले में लिप्त दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा, जितेंद्र धवन, राजीव धवन, रामसेवक पाल, माखनलाल कथित अध्यक्ष हिना पैलेस के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किए थे।


यह पहला मौका नहीं है, जब भूमाफियाओं की सभी सरकारी विभागों ने इस तरह से मदद न की हो। सहकारिता विभाग तो सालों तक इन भूमाफियाओं के कब्जे में ही रहा और इनके द्वारा हड़पी गई गृह निर्माण संस्थाओं में मनमाने आदेश प्राप्त करते रहे। हिना पैलेस के मामले में भी सहकारिता विभाग से जमीन बेचने की अनुमति इसी तरह हासिल कर ली गई। इतना ही नहीं, नगर निगम के कॉलोनी सेल ने भी गजब का फर्जीवाड़ा दिखाया और खजराना की एक अवैध बस्ती से अलग हिना पैलेस को उसमें शामिल बताकर पूरी 25 एकड़ की कॉलोनी को ही वैध कर डाला। दूसरी तरफ पुलिस महकमा भी सिर्फ मुहिम चलने तक शासन-प्रशासन का साथ देता है, उसके बाद भूमाफियाओं का मददगार बन जाता है। शहर के कई थाने इन भूमाफियाओं ने एक तरह से खरीद रखे हैं। हिना पैलेस के मामले में भी पुलिस की भूमिका मिलीभगत की ही रही। बीते दो सालों से कलेक्टर मनीषसिंह ही दबंगता से सभी तरह के माफियाओं पर शिकंजा कसते रहे हैं और रासुका, जिलाबदर से लेकर एफआईआर कराने के अलावा उनके कब्जों से हजारों करोड़ रुपए मूल्य की जमीनें भी छीन ली गईं। इसी कड़ी में हिना पैलेस के महा-भूघोटाले की पोलपट्टी भी कलेक्टर ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट में खेलदी। प्रमुख सचिव राजस्व को नगर भूमि सीमा अधिनियम, यानी सिलिंग 1976 की धारा 20 की छूट का उल्लंघन करने और छूट निरस्त कर विमुक्त सिलिंग प्रभावित जमीन को सरकारी घोषित करते हुए शासन ने वेष्ठित करने के संबंध में पत्र लिखा। खजराना के विभिन्न सर्वे नंबरों की 7.911 हेक्टेयर, यानी लगभग 20 एकड़ जमीन को धारा 20 की शर्तों के उल्लंघन का दोषी माना और 500 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन दीपक मद्दा से छीन ली गई। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि लोकायुक्त जैसे भ्रष्टाचार से लडऩे वाले सबसे बड़े संगठन ने भी श्रीराम गृह निर्माण की कॉलोनी हिना पैलेस के नियमितीकरण को लेकर 2014 में प्रकरण दर्ज किया, जिसमें मद्दा सहित धवन बंधुओं और अन्य को आरोपी भी बनाया। धारा 420, 467, 468, 471, 406 और 120-बी के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच-पड़ताल शुरू की और लोकायुक्त ने भी अपनी चार पेज की जो रिपोर्ट बनाई, उसमें इस भूघोटाले को साबित भी किया। लोकायुक्त ने श्रीराम गृह निर्माण के पास दिलीप सिसौदिया की बेची गई जमीन के अलावा अन्य भूमि भी थी, जिसे दिलीप सिसौदिया, धवन बंधुओं से लेकर अध्यक्ष हरियाणा गृह निर्माण, सारथी गृह निर्माण, टेलीकॉम और शताब्दी गृह निर्माण की जमीनें हड़प लीं और रहवासी संघ अध्यक्ष के रूप में नियमितीकरण का आवेदन लगा दिया, जबकि हिना पैलेस रहवासी संघ का कोई पंजीयन भी नहीं पाया गया और उसके कथित अध्यक्ष के साथ मिलकर मद्दा ने नियमितीकरण भी करवा लिया। वो तो जब अग्निबाण ने निगम द्वारा किए गए नियमितीकरण के बाद इस घोटाले का खुलासा किया, उसके बाद लोकायुक्त जांच के चलते निगम को पीछे हटना पड़ा और उसके बाद जब जबलपुर हाईकोर्ट ने इंदौर सहित प्रदेशभर की अवैध से वैध की गई कॉलोनियों को फिर से अवैध घोषित कर दिया तो उसकी चपेट में हिना पैलेस भी आ गई। जिस तरह अन्य गृह निर्माण संस्थाओं और भूघोटालों के मामलों में होता आया है कि मुहिम ठंडी पड़ते ही जमीनी जादूगर और माफिया फिर से सक्रिय हो जाते हैं और सरकारी विभागों के साथ-साथ भोपाल के मंत्री, नेता अधिकारियों के साथ साठगांठ कर चल रही जांचों को ठंडे बस्ते में डलवा देते हैं, उसी दर्ज पर लोकायुक्त से भी हिना पैलेस के मामले में खात्मा पेश करवा दिया।


धरी रह गई मद्दा की चालाकी फ्लैट देने का लिखा पत्र
प्रशासन द्वारा हिना पैलेस की जमीनों को सरकारी घोषित किए जाने की भनक भूमाफिया दीपक मद्दा को कुछ दिनों पूर्व लग गई थी, जिसके चलते उसने एक होशियारी करते हुए शासन-प्रशासन, सहकारिता व अन्य को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि धारा 20 की वर्णित शर्तों की जानकारी संस्था पदाधिकारियों के साथ उसे भी नहीं दी गई और लोकायुक्त पुलिस ने भी दर्ज प्रकरण में खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लगातार माफियाओं को नेस्तनाबूद करने की घोषणा करते हैं, वहीं मद्दा ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री का भी हवाला देते हुए कहा कि उनकी मंशा है कि सभी गृह निर्माण संस्थाओं के सदस्यों की आवास समस्या त्वरित रूप से हल की जाए और इस पुनीत कार्य में वह खुद शासन-प्रशासन की मदद करना चाहता है और हिना पैलेस की जमीन पर बहुमंजिला इमारत बनाकर पात्र सदस्यों को लागत मूल्य पर फ्लैट आवंटित करेगा। यानी तमाम गृह निर्माण संस्थाओं पर कब्जा कर पीडि़त सदस्यों के भूखंड पा लेने वाला चर्चित भूमाफिया अब उन सदस्यों का मददगार बनने का ढोंग कर रहा है। हालांकि प्रशासन ने मद्दा के इस पत्र को कोई तवज्जो भी नहीं दी और विस्तृत आदेश जारी कर जमीन को सरकारी घोषित कराने की प्रक्रिया शुरू करवा दी।

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