इंदौर। इंदौर (Indore) पहली बार 13 मई को भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) समर्थित ‘नोटा’ (NOTA) के बीच होने वाले चुनावी मुकाबले (election contests) का गवाह (Witness) बनेगा। अपने प्रत्याशी अक्षय कांति बम (Akshay Kanti Bam) के नाम वापस लेने के बाद कांग्रेस का कोई सूरमा मैदान में नहीं है। अब कांग्रेस ने लोगों से अपील की है कि वे भाजपा को हराने के लिए नोटा का बटन दबाएं। यही वजह है कि इंदौर लोकसभा सीट पर ‘नोटा’ एक उम्मीदवार के तौर पर सामने आया है। चुनावी विश्लेषक भी इंदौर सीट के मुकाबले पर पैनी पै नजर बनाए हुए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सियासी विश्लेषकों की नजरें निवृतमान सांसद एवं भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी एवं कांग्रेस समर्थित ‘नोटा’ के बीच दिलचस्प मुकाबले पर टिकी है। पिछले 35 साल से भाजपा का इंदौर लोकसभा सीट पर कब्जा है। भाजपा ने इस बार कम से कम आठ लाख मतों के अंतर से जीत का दावा किया है। गौरतलब है कि कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया था। वह भाजपा में शामिल हो गए थे। नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ में नहीं है। इंदौर में 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान 69 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। उस समय इस सीट पर 5,045 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।
कांग्रेस की ओर से नोटा का बटन दबाने की अपील पर भाजपा उम्मीदवार लालवानी ने कहा- कांग्रेस की यह अपील लोकतंत्र के खिलाफ है। कांग्रेस ने इंदौर में अपनी दुर्गति से बौखलाकर यह अपील की है। इंदौर में कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। मतदाताओं को जो उम्मीदवार सबसे अच्छा लगे, वे उसे वोट करें। नोटा कोई सड़क, रेलवे स्टेशन या अस्पताल नहीं बनवा सकता है। कांग्रेस 14 में से किसी को अपना समर्थन देकर चुनाव प्रचार कर सकती थी।
बम के मैदान से हटने के बाद भी भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी लगातार लोगों के बीच गए। लालवानी ने इंदौर में औद्योगिक विकास की रफ्तार बढ़ाने, ट्रैफिक में सुधार और आशंकित जलसंकट से निपटने की योजना के वादों के साथ लोगों से समर्थन मांगां। वहीं प्रदेश कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि इंदौर में कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया गया ऐसे में मौजूदा हालात के हिसाब से नोटा का विकल्प सही है। नोटा वह झन्नाटेदार तमाचा है जो अलोकतांत्रिक लोगों के गाल पर पड़ना चाहिए।
वहीं जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र में सोमवार को होने वाले चुनाव के लिए 2,677 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें करीब 500 संवेदनशील केंद्र शामिल हैं। इंदौर में 75 फीसदी मतदान केंद्र सीसीटीवी की निगरानी में रहेंगे। साथ ही सुरसुक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं। इंदौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। इस सीट पर 25.27 लाख वोटर 14 उम्मीदवारों का भविष्य तय करेंगे जिनमें नौ निर्दलीय भी शामिल हैं।
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