नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्रीय मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अमेठी (Amethi) से चुनाव लड़ने की चुनौती दी है. अमेठी में दो बार स्मृति ईरानी और राहुल गांधी के बीच मुकाबला हो चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेठी में एक बार फिर राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा?
स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से हराया था. राहुल तीन बार यहां से सांसद रहे हैं. स्मृति ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि वह अकेले अमेठी से चुनाव लड़कर दिखाएं. वहीं, कांग्रेस ने राहुल के दोबारा अमेठी से चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
इन सबके बीच स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना चुनाव प्रचार तेज कर दिया है. वह लगातार अमेठी के मंदिरों का दौरा कर रही हैं. वह नवरात्रि के पहले दिन अमेठी के एक मंदिर भी गईं.
‘राहुल बिन अमेठी सून’
2019 तक अमेठी कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा था. तीन बार यहां से सांसद रहे राहुल गांधी 2019 में स्मृति ईरानी से हार गए थे. इससे पहले 2014 में उन्होंने स्मृति ईरानी को एक लाख वोटों के अंतर से हराया था.
हालांकि, अब यहां हालात बदले-बदले नजर आ रहे हैं. अमेठी के कांग्रेस दफ्तर में सन्नाटा पसरा हुआ है. ज्यादातर कैबिनों में भी ताला लटका हुआ है. अमेठी दौरे के दौरान राहुल दफ्तर के जिस गेस्ट हाउस में ठहरते थे, वो भी वीराना नजर आ रहा है.
लेकिन, इन सबके बावजूद अमेठी के स्थानीय कांग्रेसी नेता यहां से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाने की मांग कर रहे हैं. अमेठी के कांग्रेस दफ्तर में ‘राहुल बिन अमेठी सून’ टैगलाइन वाला पोस्टर लगा हुआ है. ये दिखाता है कि स्थानीय कांग्रेसी चाहते हैं कि राहुल यहां से फिर चुनाव लड़ें.
क्या कहती है पब्लिक?
अमेठी से स्मृति बनाम राहुल के मुकाबले पर पब्लिक का मूड 50-50 मोड में है. कई लोग दावा करते हैं कि स्मृति ईरानी यहां से दोबारा जीत रही हैं. जबकि, कुछ लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि राहुल यहां से चुनाव लड़ें. हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बीजेपी और कांग्रेस, दोनों से ही नाखुश हैं. उनका दावा है कि संजय गांधी के बाद किसी ने भी अमेठी के लिए काम नहीं किया.
कांग्रेस का गढ़ रहा है अमेठी
सेंट्रल यूपी में पड़ने वाली अमेठी भारतीय राजनीति की सबसे हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. 1980 से नेहरू-गांधी के परिवार के चार सदस्य यहां से सांसद रहे हैं. जिनमें संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं.
राहुल गांधी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव यहीं से जीता था. 2004 में उन्होंने अमेठी से अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी और करीब तीन लाख वोटों के अंतर से यहां से जीत दर्ज की थी. 2009 में भी राहुल ने यहां बड़े अंतर से चुनाव जीता था. 2014 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी की स्मृति ईरानी को एक लाख वोटों के अंतर से हराया था. हालांकि, 2019 में राहुल गांधी यहां से चुनाव हार गए थे.
क्या तीसरी बार फिर होगा मुकाबला?
ज्यादातर लोग चाहते हैं कि अमेठी में एक बार फिर स्मृति ईरानी और राहुल गांधी के बीच मुकाबला हो. कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि राहुल गांधी के अलावा अगर किसी और को उम्मीदवार बनाया जाता है तो ये लड़ाई कांग्रेस बनाम स्मृति ईरानी की हो जाएगी और इससे बीजेपी को फायदा मिल सकता है.
हालांकि, कांग्रेस के आंतरिक सर्वे से संकेत मिलता है कि अगर राहुल गांधी अमेठी में स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को यहां से स्पष्ट रूप से फायदा होगा.
एक कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आंतरिक सर्वे में कांग्रेस की जीत की 80 फीसदी संभावना जताई गई है, क्योंकि अमेठी के लोग मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी के काम से नाराज हैं.
2019 की तरह ही राहुल गांधी इस बार भी वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं. वायनाड में 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है. माना जा रहा है कि वायनाड में वोटिंग के बाद कांग्रेस अमेठी का पत्ता खोल सकती है. कांग्रेस हलकों में राजनीतिक चुनौतियों का डटकर सामना करने की प्रचलित धारणा है. ज्यादातर लोगों का मानना है कि राहुल गांधी को नतीजों की चिंता किए बगैर अमेठी से दोबारा चुनाव लड़ना चाहिए.
मूंज प्रोडक्ट्स के लिए लोकप्रिय है अमेठी
जिस तरह से रामपुर अपनी छुरी और कन्नौज अपने इत्र के लिए लोकप्रिय है, उसी तरह अमेठी मूंज प्रोडक्ट्स के लिए लोकप्रिय है. प्राकृतिक रूप से बारह महीने उगने वाली इस घास को स्थानीय बोली में ‘सरपत’ कहा जाता है. ये घास जिले के निचले इलाकों में पाई जाती है. यहां के लोग मूंज से कई प्रकार के सजावटी सामान जैसे- फुटमैट, कैरी बैग, स्टूल, रस्सी, पेन स्टैंड, कुर्सियां, टेबल वगैरह बनाते हैं.
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