नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा नीत एनडीए लगातार अपना कुनबा बढ़ाने के लिए गठबंधन का सहारा लेने की कोशिशें कर रहा है। बिहार में जदयू के साथ गठबंधन के बाद अब बीजेपी पंजाब में भी ताकत आजमाने के लिए अकाली दल से गठबंधन करने को उत्सुक है, जिसे लेकर भाजपा और अकाली दल के बीच पंजाब में गठबंधन को लेकर पिछले कुछ समय से बातचीत चल रही थी। इस बातचीत को लेकर कहा जा रहा है कि पंजाब में अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की बातचीत विफल हो गई है और गठबंधन फेल हो गया है।
बता दें कि पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एक साथ चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान बाद कहा जा रहा है कि अब बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है। सूत्रों के मुताबिक, अकाली दल ने किसान आंदोलन, सिख बंदियों की रिहाई सहित अन्य मामलों को लेकर बीजेपी पर दवाब बनाना शुरू कर दिया था और पंजाब की बीजेपी लीडरशिप भी गठबंधन के हक में नहीं थी, जिससे बात बिगड़ गई है।
अकाली दल का बसपा से है गठबंधन
बता दें कि केंद्र सरकार जब किसानों के लिए नए कृषि कानून लेकर आई थी, उसका विरोध जताने के लिए अकाली दल ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था और बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर ही पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। अकाली दल के सूत्रों ने बताया था कि बीजेपी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है। जब अकाली दल एनडीए में शामिल था, तो वो 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव लड़ती रही थी। अब बीजेपी ज्यादा सीटों की मांग कर रही है जो अकाली दल को मंजूर नहीं था।
पंजाब में अकाली दल और बसपा का गठबंधन है और दोनों दल अपना ये गठबंधन तोड़ना नहीं चाहते क्योंकि बीएसपी का पंजाब में अच्छा-खासा प्रभाव है तो वहीं सुखदेव सिंह ढींढसा के गुट की भी अकाली दल में शामिल होने की बात चल रही है।अकाली दल के नेताओं का आरोप है कि बीजेपी ने पंजाब में अकाली दल को कमजोर करने की भी कोशिश की है। इन सारी वजहों के कारण ही गठबंधन की बात बिगड़ गई है।
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