नई दिल्ली । कोरोना (corona) का कोहराम अभी थमा नहीं है। चीन (China) में कोरोनावायरस की वजह से आम जनता काफी परेशान है। कोरोना के इस नए प्रभाव को देखते हुए अगर कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) का सहारा लिया जाता है, तो यह इकोनॉमी (economy) के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर देगा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन खतरे में नजर आ रही है और एक बार फिर कोरोना इसका बड़ा कारण बनकर सामने आया है। अगर लॉकडाउन लगा तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए इसके नतीजे काफी भयावह होंगे।
बीते 15 दिनों में बुरी तरह टूटा चीनी शेयर बाजार
आपको बता दें कि चीन में इन दिनों कोरोना ने फिर से खलबली मचा दी है जिसके बाद चीनी शेयर बाजार बीते 15 दिनों में बुरी तरह टूटा है। चीन का Hang Seng China Enterprise Index 28 जून के बाद से अब तक करीब 9 फीसदी तक गिर चुका है। ऐसे में इन्वेस्टर्स के सामने फिर से चिंता खड़ी हो गई है कि अगर कोरोना के मामले बढ़ते हैं, तो फिर से आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाएंगी। कोरोना के खौफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संक्रमण का सिर्फ एक मामला सामने आने के बाद ही चीन के एक शहर को 3 दिनों के लिए बंद कर दिया गया।
फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप होने का डर
संभावना जताई जा रही है कि चीन में कोरोना संक्रमण बढ़ने पर फिर से लॉकडाउन की घोषणा हो सकती है। इससे फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप होने का डर है वहीं, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर भी इसका असर होगा। जबकि, कर्ज की मार झेल रहीं चीन की कंस्ट्रक्शन कंपनियां पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रही हैं। इनमें Evergrande Group लोन पर डिफॉल्ट कर सकती है, तो वहीं Iron ore के शेयरों का दाम 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
ग्रोथ रेट हासिल करने की उम्मीद
इकोनॉमी से जुड़े सभी इंडिकेटर्स इस बात की गवाही दे रहे हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में गिरावट का दौर शुरू हो चुका है लेकिन चीन सरकार की उम्मीदें इस साल की दूसरी छमाही पर टिकी हैं। जिनपिंग सरकार का मानना है कि इससे 5.5 प्रतिशत ग्रोथ का लक्ष्य हासिल हो जाएगा।
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