भोपाल। मप्र में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस की तैयारियां चरम पर है। इस बार कांग्रेस ने निकाय चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए युवा और सक्रिय नेताओं को टिकट देने के फार्मूले पर काम कर रही है। कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव और मप्र के प्रभारी मुकुल वासनिक ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संकेत दे दिया है कि निकाय चुनाव के टिकट स्थानीय समिति तय करेगी। भोपाल से किसी भी नाम में बदलाव नहीं होगा।
नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, शिवसेना सहित तमाम दलों के उम्मीदवार और निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में होंगे। हर दल ने एक सूत्रीय सिद्धांत अपनाया है कि जिताऊ छवि वाला ही उम्मीदवार बन कर मैदान में उतरेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा से लेकर तमाम वरिष्ठ नेता जिला, संभाग और बूथ स्तर तक लगातार बैठकें ले रहें हैं। कल तक केवल युवा चेहरों को ही संगठन और निकाय चुनाव में तरजीह देने की बात कहने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सुर भी दो दिन पहले सतना मे हुई बैठक में बदले नजर आए, उनका कहना था कि उन्हें 60 की उम्र वाले नेताओं से भी कोई परहेज नहीं है। महापौर, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षद के लिए टिकट जिताऊ चेहरे को ही मिलेगा। बता दें कि भाजपा ने तीन चरणों की प्रक्रिया में उम्मीदवारों के चयन का फैसला किया है। सबसे पहले पार्टी की जिले की चुनाव समिति नगर परिषद के टिकट तय करेगी, दूसरा-संभाग स्तर पर नगर पालिका और पार्षदों के नामों को मंजूरी मिलेगी, तीसरा महापौर का चुनाव राज्य स्तर की चुनाव समिति तय करेगी।
तैयारियों में पिछड़ रही कांग्रेस
निकाय चुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारियों पर नजर डालें तो वह भाजपा के मुकाबले काफी पिछड़ी दिखती है। अपने-अपने स्तर पर दिग्विजय, कमलनाथ, अरूण यादव जैसे वरिष्ठ नेता जोर मारते दिखते हैं। लेकिन गुटबाजी से पार्टी उबर नहीं पा रही। पिछले दिनों भोपाल में हुई बैठक के दौरान कांग्रेस नेताओं की आपस में जूतम-पैजार जैसी घटनाओं से जनता में गलत संदेश गया है। संभवत: यही वजह है कि कांग्रेस को इस चुनाव में ईवीएम पर भरोसा नहीं रह गया है। दिग्विजय सिंह ने राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बीपी सिंह को ज्ञापन सौंपकर नगरीय निकाय चुनाव ईवीएम की जगह मतपत्रों से कराने की मांग की हैं, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।
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