इस्लामाबाद (Islamabad) । पाकिस्तान (Pakistan) के ग्वादर शहर (Gwadar City) में चीन (China) की मदद से एक पोर्ट बना है। इसे पाकिस्तान अपने लिए रणनीतिक और कारोबारी तौर पर अहम मान रहा था, लेकिन बीते 17 सालों वह इससे कुछ हासिल नहीं कर सका है। यही नहीं लोन की बड़ी रकम इसके निर्माण में लगी, जो ठेका लेने वाली चीनी कंपनियों के हाथ चली गई। वहीं चीनी बैंकों से जारी हुआ लोन अब पाकिस्तान के सिर पर है, जिसे चुकाने की टेंशन अब उसे सता रही है। चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा ग्वादर पोर्ट अब तक मालवाहक जहाजों के इंतजार में ही हैं। यहां इक्का-दुक्का ही जहाज उतर रहे हैं। आज भी देश का सबसे अहम बंदरगाह कराची का ही है।
इस तरह पाकिस्तान का एक सुहाना सपना करीब डेढ़ दशक में ही गर्त में है। नवंबर 2016 में ही तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने इस प्रोजेक्ट को नए दौर की सुबह करार दिया था, लेकिन आज यह शाम की तरह ढल रहा है। चीन और पाकिस्तान ने चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के जरिए शिनजियांग से ग्वादर तक को जोड़ने का सपना देखा था और फिर समुद्र के रास्ते चीन मध्य एशिया और यूरोप तक पहुंचने का प्लान बना रहा था। चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का काम तो लगभग पूरा होने की कगार पर है, लेकिन इसकी धुरी बने ग्वादर शहर में ही प्रोजेक्ट गति नहीं पकड़ पा रहा है। एक तरफ पोर्ट अब तक फेल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विदेशी निवेशक भी नहीं आ रहे।
पाकिस्तान की बात करें तो उसे चीन ने अपने एक शहर शेन्झेन (Shenzhen) जैसे विकास का अपना दिखाया था, जिसके झांसे में पाकिस्तान आया, लेकिन हाथ खाली ही रहे। हां, सिर पर कर्ज का बोझ जरूर आ गया। दरअसल शेन्झेन शहर कभी मछुआरों का एक गांव हुआ करता था। लेकिन 1980 में चीन ने इसे अपना पहला विशेष आर्थिक जोन बनाने का फैसला लिया। यही दौर था, जब चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हो रही थी। उस दौर में शेन्झेन एक गांव था और वहां की आबादी महज 60 हजार की थी। आज यहां लगभग 2 करोड़ लोग रहते हैं।
कैसे शेन्झेन शहर 40 साल में बन गया दुनिया में उदाहरण
चीन में शेन्झेन को आर्थिक विकास और उदारीकरण का प्रतीक माना जाता है। इसे करिश्मे के तौर पर देखा जाता है। चीन और पाकिस्तान के मामलों पर नजर रखने वाले अजीम खालिद कहते हैं कि पाक सरकार सोच रही थी कि ग्वादर को दुबई की तरह विकसित किया जा सकेगा। दुबई आज दुनिया भर के लिए निवेश का केंद्र है, लेकिन आज तक ग्वादर उसके पास भी नहीं फटक सका है। यह पाकिस्तान के लिए निराशा वाली बात है। इसके अलावा बलूचिस्तान के लोगों का गुस्सा उसे अलग झेलना पड़ रहा है। बूलिस्चान लिबरेशन आर्मी जैसा बलूच संगठन अकसर चीनी नागरिकों तक को निशाना बनाते हुए हमला कर देता है।
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