भोपाल। मप्र आजीविकास मिशन में व्याप्त भ्रष्टाचार आए दिन उजागर होता रहता है। ताजा मामला रायसेन जिले का है। जहा जिला पंचायत के आजीविका मिशन कार्यालय में पदस्थ भ्रष्ट कर्मचारी र्कारवाई से पहले ही नौकरी छोड़कर भाग निकले हैं। हालांकि इन कर्मचारियों को बचाने के लिए जिला पंचायत के अफसरों ने पूरी कोशिश् की। अब मामला उजाकर हो गया है तो जिला पंचायत के अफसरों ने चुप्पी साध ली है। आजीविका मिशन जिला कार्यालय रायसेन में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर नरेश शर्मा, अकाउंटेंट सुवेन्द्र यादव एवं समूह प्रेरक सचिन साहू द्वारा निरंतर यात्रा भत्ता के नाम पर जिला कार्यालय से अवैध रूप से लाखों की राशि दी जा रही थी। इस संबंध में भूपेंद्र प्रजापति सोशल एक्टिविस्ट द्वारा लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू में शिकायत की गई तो इन कर्मचारियों को बचाने के लिए आजीविका मिशन का भ्रष्ट तंत्र पूरी तरह से सक्रिय हो गया और दोषी पाए जाने पर सचिन साहू को छोड़ नरेश शर्मा अकाउंटेंट सुबेन्द्र यादव एक अन्य कर्मचारी रवि सारेजा से आंशिक रूप से राशि वसूली ली गई। जबकि उनके पूरे कार्यकाल की जांच नहीं की गई। जब इस संबंध में उच्च कार्यालय द्वारा कलेक्टर रायसेन को बार-बार रिमाइंडर भेजकर इन कर्मचारियों को हटाने के लिए कहा गया। इन 3 कर्मचारियों में से अकाउंटेंट सुरेन्द्र यादव पहले ही नौकरी छोड़कर भाग चुका है। इस संबंध में कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ रायसेन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
कंप्यूटर इंजीनियर बताकर पत्नी के नाम से निकाले पैसे
कंप्यूटर ऑपरेटर नरेश शर्मा जो कि अपनी पत्नी के नाम से कंप्यूटर ठीक करने संबंधी व्यापार चला रहा था पूरे जिले के कंप्यूटर ठीक करने संबंधी बिल अपनी पत्नी अनीता शर्मा के नाम से आजीविका मिशन जिला पंचायत कार्यालय में लगाकर निरंतर लाखों रुपए की राशि निकाल चुका ह। इसी के साथ यह कर्मचारी अपनी चार पहिया वाहन क्रमांक एमपी 38 टीए 0618 के बिल लगाकर लगाकर अच्छी खासी अनैतिक कमाई करता रहा है।
सभी भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाना चाहिए थी, लेकिन इनके भ्रष्टाचार साबित होने के बावजूद भी इन्हें 2 साल से बचाया जा रहा था।
भूपेंद्र प्रजापति , सोशल एक्टिविस्ट
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